"जादूगरनी हूँ मैं जादू टौना कर दूंगी, आसमान के सूरज को भी बौना कर दूंगी" : शैलजा सिंह

आगरा में तुलसी साहित्य अकादमी शाखा आगरा के तत्वावधान में निखिल बुक कैफे भावना मल्टीप्लैक्स आगरा पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन बड़ी धूमधाम से  संपन्न हुआ।

          कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गीतों की जादूगरनी शैलजा सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि "कवि की सार्थकता स्वरचित रचना के कालजयी होने पर ही संभव है जिसका माध्यम केवल हिंदी भाषा ही हो सकती है अन्य नहीं" उन्होंने जादूगरनी हूँ मैं जादू टौना...कविता से सभी को मंत्रमुग्ध ही नहीं ठहाके लेने को मजबूर कर दिया।

          काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे राज बहादुर 'राज' ने कहा कि आज जो मंच पर तथाकथित कवियों द्वारा श्रोताओं को जो परोसा जा रहा है वह भारतीय संस्कृति और लोक साहित्य के तौर पर अक्षम् है इसलिए कवि को अपनी गरिमा से कभी समझोता नहीं करना चाहिए।

          इस अवसर पर कवि डॉ. राजेंद्र मिलन ने अपने आशीर्वचन में लोक साहित्य पर विशेष लेखन पर जोर दिया और विशिष्ट अतिथि धनंजय तिवारी रहे।

          कवि सम्मेलन में अकादमी द्वारा विशेष रूप से गाजियाबाद से पधारीं कवयित्री शैलजा सिंह को उनके साहित्य लेखन के लिए हिंदी साहित्य भूषण प्रदान किया गया। वहीं ब्रजकवि डॉ. ब्रजबिहारी लाल को ब्रज साहित्य भूषण की उपाधि से अलंकृत किया गया।

          समारोह में हिंदी के कवि, लेखक, साहित्यकार, शिक्षाविद्, शोधार्थियों और शहर के गणमान्य महानुभावों में सर्वश्री नंदनंदन गर्ग, कवि डॉ.यशोयश, धनंजय तिवारी, डॉ.सुकेशिनी दीक्षित, प्रेमलता शर्मा, डॉ. शेषपाल सिंह शेष, उमाशंकर पाराशर, नरेन्द्र वर्मा, हरीश अग्रवाल ढपोरशंख, संजय गुप्त, आचार्य नीरज शास्त्री, जय शर्मा, अनुज अनुभव, राज फोजदार, आचार्य निर्मल, बोधिसत्व कस्तूरिया, शरद गुप्ता, इशिका शर्मा, विनय बंसल, प्रभुदत्त उपाध्याय, उत्तम सिंह, डॉ.रामवीर शर्मा रवि, रीतू चौरसिया, वंदना चौहान, अनुपमा दीक्षित ने तरन्नुम और तहत में कविताएं पढ़कर खूब वाह-वाह लूटी।

          अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का कुशल संचालन कविद्वय डॉ.यशोयश और अनुपमा दीक्षित ने किया।

          धन्यवाद ज्ञापित अकादमी संस्थापक आचार्य नीरज शास्त्री ने किया।

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