जयंती और पुण्य तिथि 18 सितंबर : काका हाथरसीः मुस्कुराओ मौत की आंखों में आंख डाल कर

-जयंती और पुण्य तिथि 18 सितंबर पर विशेष

-काका हाथरसीः मुस्कुराओ मौत की आंखों में आंख डाल कर 

आदर्श नंदन गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार

‘जिंदगी को वक्त के सांचे में ढाल कर

मुस्कुराओ मौत की आंखों में आंख डाल कर।’

जिदंगी के इस मूलमंत्र को मानने वाले काका हाथरसी जी अपने जीवन में हंसे ही नहीं बल्कि अपनी रचनाओं से इस देश और दुनिया को जमकर ठहाके लगवाए। वे हिंदी के पहले ऐसे कवि थे, जिन्होंने हास्य रस की कविताओं को मंच पर लोकप्रियता प्रदान की। हास्य कविताओं को मान सम्मान दिलवाया।

उत्तर प्रदेश के शहर हाथरस के निवासी काका हाथरसी का मूल नाम प्रभुलाल गर्ग था। काका ने करीब 70 वर्ष तक काव्य साधना की। 45 वर्ष तक विभिन्न काव्य मंचों पर लोकप्रियता के शिखर पर रहे। ‘कला रत्न’ की उपाधि से अलंकृत काका हाथरसी को सन् 1985 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया। उन्होंने हास्य व्यंग्य की रचनात्मक साहित्य की 42 पुस्तकें लिखीं।

काव्य के अलावा संगीत जगत भी काका को हमेशा याद रखेगा। उन्होंने 1932 में हाथरस में ही ‘संगीत कार्यालय’ की स्थापना की। इसके तहत संगीत पर करीब 150 महत्वपूर्ण ग्रंथ प्रकाशित हुए। उन्होंने 1935 में ‘संगीत’ मासिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया, जो देशभर में भारतीय शास्त्रीय संगीत की सबसे पुरानी मासिक पत्रिका के रूप में लोकप्रिय है। 

काका जी ने बाद में ‘फिल्म संगीत’ और ‘म्यूजिक मिरर’ पत्रिकाओं का प्रकाशन भी किया था। उन्होंने ‘बसंत’ छद्म नाम से संगीत विशारद पुस्तक भी लिखी, जो आज भी विश्व विद्यालयों में सबसे ज्यादा पढ़ायी जाने वाली पुस्तक मानी जाती है। बहुत कम लोगों को मालूम है कि काका जी एक बहुत अच्छे चित्रकार भी थे। उन्होंने करीब 150 तैल चित्र बनाए, जिनमें अनेक चित्र शास्त्रीय संगीत के पुराने उस्तादों के हैं।

काका जी ने सन् 1975 में ‘काका हाथरसी पुरस्कार’ की शुरुआत की। यह पुरस्कार पिछले 50 वर्षों से प्रतिवर्ष दिया जाता है, जिसे काका जी के पौत्र अमेरिका निवासी श्री अशोक गर्ग संभाले हुए हैं। काका जी हिंदी के पहले कवि थे, जिनकी निजी काव्य गोष्ठियां कई बार थाईलैंड, इंग्लैंड, सिंगापुर, अमेरिका, कनाडा आदि देशों में हुईं। अमेरिका के मेयर वाल्टीमोर ने सन् 1984 में उन्हें आनरेरी सिटीजन शिप देकर सम्मानित किया था।

कविता का प्रमुख पात्र थीं ‘काकी जी

काका जी में हास्य कविता के बीज तो विवाह से पूर्व ही प्रस्फुटित हो गए थे। अपनी कविताओं में वे भावी पत्नी को लक्ष्य बनाकर कविता करते  थे। विवाह के बाद उनकी पत्नी श्रीमती रतनदेवी (काकी) उनकी कविताओं का प्रिय पात्र बन गईं। उनकी एक कविता काफी लोकप्रिय हुई-

काकी जब से घर आई हैं, 

पिचके काका के गाल सखे..

मैके जाने का नोटिस देकर, मुझको नित्य डराती हैं।

लेकिन मोटर के अड्डे से, वापस घर को आती है। 

भय के मारे मन ही मन,

देता रहता हूं ताल सखे,

मत पूछो मेरा हाल सखे।


दाढ़ी को अपना प्रमुख आकर्षण मानते हुए काका सुनाते थे-

पहली दौलत मानिए हास्य व्यंग्य का ज्ञान,

दूजी दाढ़ी मानिए, तीजी काकी मान।


इसी प्रकार की एक और कविता लोकप्रिय रही-

काका दाढ़ी राखिए, बिन दाढ़ी सब सून,

ज्यों मंसूरी के बिना व्यर्थ है देहरादून,

व्यर्थ है देहरादून, इसी से नर की शोभा,

दाढ़ी से ही प्रगति कर गए संत विनोबा।

मुनि वशिष्ठ यदि दाढ़़ी मुंह पर नहीं रखाते,

तो क्या वे भगवान राम के गुरु बन जाते।

जयंती और पुण्य तिथि एक ही दिन

ऐसा मौका शायद ही किसी संत और महंत को मिला होगा, जिनके जन्म और निधन की तारीख एक ही हो। काका हाथरसी का जन्म 18 सितबंर 1906 और निधन 18 सितंबर 1995 को हुआ था।

ऊंट गाड़ी पर निकाली थी शवयात्रा

काका की वसीयत के अनुसार उनकी शवयात्रा ऊंट गाड़ी में निकाली गई थी। लोग हंसते, गाते कविता सुनाते, ठहाके लगाते शामिल हुए थे। काका जी की इच्छा के अनुसार श्मशान घाट पर काव्य गोष्ठी हुई थी।

काका हाथरसी हास्य रत्न पुरस्कार 

‘काका हाथरसी पुरस्कार’ वर्ष 2023 में लोकप्रिय हास्य कवि और अभिनेता शैलेश लोढ़ा को और 2024 में कविवर श्री चिराग जैन को प्रदान किया गया। यह पुरस्कार ‘काका हाथरसी पुरस्कार ट्रस्ट’ द्वारा प्रतिवर्ष एक शीर्षस्थ एवं लोकप्रिय कवि को प्रदान किया जाता है। पुरस्कृत कवि को ‘हास्य रत्न’ की उपाधि से भी विभूषित किया जाता है। इस सम्मान समारोह के लिए काका जी के पौत्र व ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री अशोक गर्ग अमेरिका से आते हैं। विख्यात हास्य कवि श्री सुरेंद्र शर्मा, डा. अशोक चक्रधर एवं डा.गिरिराज शरण अग्रवाल ट्रस्ट के संरक्षक हैं। कविवर श्री चिराग जैन ट्रस्ट के सचिव हैं। 

‘काका हाथरसी पुरस्कार ट्रस्ट’ की स्थापना पद्मश्री काका हाथरसी ने सन् 1975 में की थी। यह ट्रस्ट 1975 से 2024 तक 49 हास्य कवियों को सम्मानित कर चुका है। यह समारोह दिल्ली में नवंबर माह में होता है। अब तक इस पुरस्कार से सम्मानित रचनाकारों में ओमप्रकाश आदित्य, विमलेश राजस्थानी, शैल चतुर्वेदी, माणिक वर्मा, सुरेन्द्र शर्मा, शरद जोशी, हुल्लड़ मुरादाबादी, अशोक चक्रधर, के पी सक्सेना, अल्हड़ बीकानेरी, प्रदीप चौबे, जैमिनी हरियाणवी, अरुण जैमिनी, हरीश नवल, महेन्द्र अजनबी, सुरेन्द्र दुबे, सुनील जोगी और शैलेश लोढ़ा आदि के नाम शामिल हैं। इस वर्ष यह समारोह 08 नवंबर को साहित्य अकादमी सभागार, नई दिल्ली में आयोजित किया गया है।

आदर्श नंदन गुप्ता

मोबाइल नंबर 9837069255

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