आज से देश भर में गणेश चतुर्थी की शुरुआत हो चुकी है। हर घर, मुहल्ले, अपार्टमेंट में भव्य पंडालों में भगवान गणपति की अद्भुत मूर्तिया सजकर पूजा पाठ शुरु हो चले हैं।
आज हम बात करने जा रहे हैं यूपी आगरा के छलेसर स्थित एक ऐसे विशाल और अद्भुद मंदिर की जिसका निर्माण तो नवीन है लेकिन इसकी संरचना पहले जैसे दक्षिण के मंदिरों जैसी है। जी हां हम बात करने जा रहे हैं आगरा -फिरोजाबाद मार्ग पर छलेसर स्थित श्री वरद वल्लभ महागणपति मंदिर की। जैसा की नाम से ही पता चल रहा होगा कि यह मंदिर प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश जी को समर्पित है।
मंदिर का डिजाइन अष्टकोणीय है
दक्षिण भारतीय शैली पर आधारित इस मंदिर का डिजाइन अष्टकोणीय है, जो सबको बेहद भाता है। मंदिर में प्रवेश के बाद आपको लगेगा ही नहीं कि आप यूपी में हैं आपको बिल्कुल ऐसा लगेगा कि आप दक्षिण के किसी गणपित मंदिर में हैं।
आगरा के अलावा पूणे, न्यूयार्क में है मंदिर
भारत में पुणे में ही वरद वल्लभ गणपति का मंदिर है। इसके अलावा न्यूयार्क में भी ऐसा ही मंदिर है।
एक ही पत्थर की बनी है मूर्ति
मंदिर में विराजमान गणपति जी की मूर्ति पद्मश्री पेरूमल सत्पति ने बनाई है। ये मूर्ति केवल एक पत्थर की बनी है, जिसमें कोई जोड़ नहीं है। एक पत्थर को ही गणेशजी का आकार दिया गया है। प्रतिमा का वजन तीन टन और ऊंचाई चार फीट है। मूर्ति ग्रेनाइट के पत्थर से बनाया गया है।
गणेश उत्सव पर होती है धूम
मंदिर के संस्थापक हरिमोहन गर्ग ने बताया कि गणेश उत्सव दक्षिण भारतीय परंपरा और पूजा पद्धतिके अनुसार संपन्न होता है। गणेश चतुर्थी पर पंचामृत से श्री वरद वल्लभ गणपति का महा-अभिषेक किया जाएगा। स्वर्ण शृंगार कर गणपति बप्पा गुलाबी आभा में भक्तों को दर्शन देंगे। इसके उपरांत हवन का आयोजन होगा और पूरे दिन मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खुले रहेंगे।
इस दौरान मंदिर के मैनेजर नितिन शर्मा व पंडित लखन दीक्षित संयुक्त रूप से बताया कि मंदिर की रसोई में 101 किलो मेवे और शुद्ध सामग्री से बने रहे विशाल मोदक की तैयार जोरों पर है। भक्त पूरे दस दिनों तक इस मोदक का दर्शन कर सकेंगे और उत्सव के अंतिम दिन प्रसाद स्वरूप इसका वितरण किया जाएगा।
रात में लगता है और सुंदर
हालाँकि मंदिर अद्भुत है लेकिन अगर आप इसे रात में देखेंगे तो और भी अद्भुद लगेगा कियुंकि मंदिर में लगी लाइटें इसकी सुंदरता में और चार चाँद बिखेर देती हैं ।
मंदिर का इतिहास
आगरा-फिरोजाबाद रोड स्थित छलेसर पर अष्टकोणीय वरद वल्लभा गणपति मंदिर की नींव 12 साल पहले एनआरएल ग्रुप के हरीमोहन गर्ग, उनके बेटे रोहित और सिद्धांत गर्ग ने रखी गई थी। सिद्धांत गर्ग ने बताया कि करीब 12 साल पहले उनके पिता हरीमोहन गर्ग के सपने में भगवान गणेश आए थे। इसके बाद ही उन्होंने गणपति मंदिर बनाने की सोची।मंदिर को दक्षिण भारतीय मंदिर की शैली में बनाया गया। मंदिर निर्माण की कारीगरी में प्रयुक्त कला और हस्तशिल्प जैसलमेर की विशेष आभा लिए पीले पत्थरों ने मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए। मंदिर दो हजार वर्ग में बना है। मंदिर में दक्षिण भारत के पुजारी हर दिन विधि-विधान से पूजा अर्चना करते हैं।
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