विश्व हाथी दिवस 2025 पर, जो दुनिया भर में हाथियों के संरक्षण और सम्मान के लिए समर्पित है, वाइल्डलाइफ एसओएस भारत में कैप्टिव हाथियों की गंभीर समस्याओं में से एक हाथियों से भीख मँगवाने की क्रूर प्रथा पर प्रकाश डाल रहा है। अपने बेगिंग एलीफेंट अभियान के माध्यम से, संस्था पीड़ित हाथियों को बचाने और बदलाव लाने के लिए अथक प्रयास कर रही है।
सबसे मार्मिक कहानियों में से एक है 72 वर्षीय हथिनी रामू की, जिसने तीन दशक से ज़्यादा समय उदयपुर की सड़कों पर भीख माँगते हुए बिताया। जब तक वाइल्डलाइफ एसओएस को बुलाया गया, तब तक वह गंभीर रूप से बीमार हो चुकी थी, पैरों में सड़न के कारण हिल-डुल नहीं पा रही थी, और उसका शरीर अनुपचारित घावों से भरा हुआ था। चौबीसों घंटे देखभाल के बावजूद, मई 2025 में रामू का दुखद निधन हो गया। उसकी कहानी इस बात का एक सशक्त प्रतीक बन गई है कि बदलाव क्यों इंतज़ार नहीं कर सकता।
इस अभियान के तहत अब तक दो नर हाथियों - मनु और हरि - को संस्था द्वारा सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया जा चुका है। मनु के पैर के नाखून बुरी तरह से फटे हुए थे और पैरों में पुरानी बीमारियाँ थीं, जो बरसों तक गर्म डामर वाली सड़कों पर चलने का नतीजा थीं। हरि, एक नर हाथी, हाल ही में लंबी जद्दोजहद के बाद बचाया गया है, और वर्तमान में उसका इलाज और व्यवहारिक पुनर्वास चल रहा है।
संस्था नागरिकों से हाथियों द्वारा भीख मांगने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने तथा पशु कल्याण कानूनों को अधिक मजबूती से लागू करने की मांग वाली याचिका पर हस्ताक्षर करने का आग्रह करती है। याचिका पर हस्ताक्षर करें और इस क्रूर प्रथा को इतिहास बनाने में मदद करें Sign the petition
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