दिल्ली में श्वानों को कैद करने के आदेश के विरोध में 150 से अधिक पशु प्रेमियों ने आगरा शांतिपूर्ण तरीके से रैली निकाल जताया विरोध


आगरा। देश की शान देसी श्वान..., गली गली में नारा है देशी श्वान हमारा है.., एमसीडी का गड़बड़ घोटाला, नहीं भरेगा श्वान हमारा..., जैसे स्लोगन लिए पशु प्रेमी आज सड़कों पर थे। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिल्ली, एनसीआर में भारतीय देसी श्वानों को कैद करने के कठोर आदेश के विरोध में 150 से अधिक पशु प्रेमियों ने नगर निगम से शहीद स्मारत तक रैली निकालकर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन किया। कहा कि जिस तरह आगरा नगर निगम पशु प्रेमियों के साथ देसी श्वानों के लिए कार्य कर रहा है, उससे सीख लेनी चाहिए। श्वानों को कैद में रखना समस्या का हल नहीं है। एमसीडी अपनी नाकामी को श्वानों परन हीं निकाल सकता।

कैस्पर्स होम ट्रस्ट, पीएफए (पीपुल फॉर एनीमल), जीव आसरा संस्था, रुद्रा एनीमल वेलफेयर आदि संस्थाओं के सदस्यों संग 150 से अधिक प्रशु प्रमियों व फीडर्स ने रैली में भाग लेकर श्वानों को कैद में रखने के आदेश का विरोध किया। कैस्पर्स होम की विनीता अरोड़ा ने कहा कि श्वानों का स्थान बदलने पर वह ट्रोमा में आकर मर भी सकते हैं। एमसीडी ने एबीसी (एनीमल बर्थ कंट्रोल) कार्यक्रम के तहत श्वानों की नसबंदी नहीं की तो इसकी सजा श्वानों को क्यों? गैर कानूनी ब्रीडिंग सेन्टरों पर शिकंजा कसना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन डिम्पी महेन्द्र ने किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से डिम्पी महेन्द्र, विनीता अरोड़ा, शांतनु बंसल, रिचा गुप्ता, डॉ. तूलिका अग्रवाल, अनिरुद्ध, अपूर्व शर्मा, ट्री मैन त्रिमोहन मिश्रा, राखी, डॉ. नेहरू, मृदु शर्मा, किरन सेतिया, आशीष, सनी, अजय सक्सेना, हर्ष आदि मौजूद थे।

सभी पशु प्रेमियों ने नगर आयुक्त ने नाम ज्ञापन पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह को सौंपा। उन्होंने स्पष्ट करते हुए सभी पशु प्रेमियों से कहा कि आगरा नगर निगम ने किसी भी शैल्टर होम का निर्माण नहीं किया है। पिछले तीन वर्ष में 60-70 हजार श्वानों के ऑपरेशन एबीसी (एनीमल बर्थ कंट्रोल) के तहत ऑपरेशन किए हैं। प्रति वर्ष 70 हजार रेबीज वैक्सीनेशन करवा रहे हैं। जिससे रेबीज के मामले लगभग खत्म हो गए हैं। कैस्पर्स होम की मदद से जन जागरूकता का काम भी किया जा रहा है। नगर निगम 2030 तक रेबीज फ्री सिटी का लक्ष्य पूरा करने में जुटा है। स्पष्ट किया कि नगर निगम का फोकस रेबीज फ्री व श्वानों की जनसंख्या नियंत्रण पर है।

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