आगरा में हुआ जीएसएलसी का पाँचवा अधिवेशन, भविष्य की चुनौतियों पर विचार-विमर्श करते दिखे शिक्षाजगत के दिग्गज
आगरा। जेपी होटल के दीवाने खास सभागार में जीएसएलसी का पाँचवाँ अधिवेशन आयोजित किया गया। सर्वप्रथम नीसा के अध्यक्ष डॉ. कुलभूषण शर्मा, उपाध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता, पंकज शर्मा, मनीमेकल्ली मोहन, विनेश मैनन, नीरज जी के द्वारा दीप प्रज्वलित किया गया ।
तत्पश्चात् 'द फैंटास्टिक फोरम' के प्रथम सत्र का प्रारंभ करते हुए सीमा नेगी ने सभी पैनलिस्ट से परिचय करवाया। सबसे पहले बोलते हुए सफारी किड्स की श्रृंखला के संचालक जितेंद्र कर्मन बोरिचा ने प्ले स्कूल पर चर्चा करते हुए मल्टी डिसीप्लिनरी लर्निंग पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बच्चों के विकास में परिवार का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। बच्चा प्रारंभिक अनुशासन और मूल्य घर से ही सीखता है। उन्होंने एप्लीकेशन बेस्ड लर्निंग पर बल दिया।
फोरम का संचालन करते हुए सीमा नेगी ने कहा कि छात्रों को प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करें। छात्रों में उत्सुकता होनी चाहिए। विचार को कैसे प्रस्तुत करना है, इस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुमताज ने कहा कि छात्रों के लिए पाठ योजना बनाते समय यह ध्यान रखें कि छात्रों के स्तर में अंतर हो सकता है।
वसुधा ने फोरम में अपने भावों को प्रकट करते हुए बताया कि हर छात्र अपने आप में अनमोल उपहार होता है। हर बच्चे को उसकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ाना ही इक्कीसवीं सदी की शिक्षा का उत्तरदायित्व है। उच्च बुद्धिमत्ता, सामान्य तथा निम्न बुद्धिमत्ता-सभी के स्तर को ध्यान में रखते हुए शिक्षण के विकल्पों को अपनाया जाना चाहिए।
वक्ता गिरिशी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे छात्र वैश्विक छात्र हो गए हैं। हर छात्र अपने आप में विशिष्ट होता है इसलिए छात्रों में क्षमता के आधार पर भेद-भाव नहीं करना चाहिए। पीयर टीचिंग के माध्यम से उन्हें एक-दूसरे से जोड़ने का प्रयास करना चाहिए।
सीमा शेख ने फोरम में बताया कि हर बच्चे का अपना सपना होता है, जिसे वह जीता है। हर बोर्ड का छात्र अपना रोड मैप खुद बनाएँ, जिस पर, हम उनकी सहायता कर सकें।
अंत में वक्ताओं ने अपना एक सपना एक विचार व्यक्त किया - सीमा शेख ने कहा कि हमेशा देना सीखो। गिरिशी ने कहा कि छात्र में उत्सुकता जगाएँ। वसुधा चाहती हैं कि वह हमेशा छात्रों के साथ रहें।
मुमताज का सपना है कि भारत के दूर-दराज का भी हर छात्र अंतरिक्ष को जाने। जितेंद्र का सपना संसार को कुछ बेहतर बनाना है। सीमा नेगी चाहती हैं कि विद्यालय में अभिभावक एवं हर जुड़े व्यक्ति के बीच पारदर्शिता हो।
मनीमेकल्ली मोहन ने अपने वक्तव्य में शिक्षक एवं छात्र के बहुआयामी स्वास्थ्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उद्देश्य के साथ चलें।
इस अवसर पर विद्याशंकर गुरु की पुस्तक '101 सीक्रेट्स ऑफ इम्पारटिंग पॉजीटिविटी टू योर टीन" का विमोचन किया गया। डॉ. कुलभूषण शर्मा ने भारत के इतिहास पर चर्चा करते हुए बताया कि भारत शिक्षा के कारण विश्व गुरु था। मुगल समय से पूर्व भारत 90 प्रतिशत शिक्षित था। भारत की विश्व की अर्थव्यवस्था में 30 प्रतिशत की भागीदारी थी। भारत को फिर से विश्वगुरु बनाने के लिए आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के बच्चों को आर्थिक सहायता सीधी दी जाए। सरकारी विद्यालय में एक छात्र पर सरकार के सभी खर्चे मिलाकर एक लाख रूपया खर्चा किया जा रहा है। सरकार के द्वारा हर बच्चे के खाते में अगर सीधा पैसा आने लगे तो बच्चा अपनी इच्छा के अनुसार विद्यालय चुन सकेगा। बहुआयामी व्यक्तित्व के निर्माण के लिए कोचिंग पर लगाम लगाई जानी आवश्यक है। शिक्षा में समानता होनी चाहिए, तभी देश विश्वगुरु बन सकेगा।
द फेंटास्टिक फोरम के द्वितीय सत्र में वसुधा नीलमणि ने बताया कि किस प्रकार नई पीढ़ी के छात्रों में किस प्रकार संस्कृति , मूल्यों का रोपण किया जा सकता है। देविका चटर्जी ने बताया कि बच्चों को कहानियाँ सुनानी अत्यंत आवश्यक है। छात्रों को पढ़ने की आदत डालें। उन्हें सही-गलत की पहचान बताएँ।
डॉ. नीलम मलिक ने बताया कि हम जीवन में हारने का भय और आशा में जीते हैं। बच्चों में विवेक और बुद्धि का विकास किया जाना चाहिए। ए आई से डरने की जगह स्मृति को पुनः शक्तिशाली बनाना जरूरी है। स्मृति भविष्य में हमेशा हमारे काम आती है। छात्रों को अभिव्यक्ति के लिए प्रेरित करें। डॉ. कविता ने कहा कि हमारी संस्कृति हमारा विश्वास हैं। ये सब काल्पनिक नहीं हैं, हमारा सच हैं। हेमंत भल्ला ने कहा कि शिक्षक और तकनीकी को मिलकर छात्रों को आगे बढ़ाना है। छात्रों को लिखने से अधिक सुनने, बोलने पर बल दें। छात्रों को प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करें।
अधिवेशन का संचालन जीएसएलसी की निदेशिका मिस पूजा ने किया।


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