प्रसिद्ध हाथी राजू ने वाइल्डलाइफ एसओएस के साथ पूरे किये अपनी आज़ादी के 11 साल




ग्यारह साल पहले, एक ऐतिहासिक बचाव अभियान ने भारत में सबसे ज़्यादा दुर्व्यवहार के शिकार हाथियों में से एक की किस्मत बदल दी। राजू- जिसे ‘द एलीफैंट हू क्राइड’ (अर्थात हाथी जो रोया) के रूप में जाना जाता है- तब से करुणा और शांति का प्रतीक बन गया है। आज, वाइल्डलाइफ़ एसओएस द्वारा मथुरा में स्थित भारत के पहले हाथी अस्पताल परिसर में राजू हाथी आज़ादी के 11वें वर्ष का जश्न मना रहा है।

कभी जंजीरों में जकड़े और भूखे हाथी को उत्तर प्रदेश के तब इलाहाबाद नाम के शहर की सड़कों पर भीख मांगने के लिए मजबूर किया जाता था l राजू की ज़िंदगी दशकों तक पीड़ा और लंबे समय तक उपेक्षा और दुर्व्यवहार के कारण गहरे शारीरिक और भावनात्मक जख्मों से भरी रही। उत्तर प्रदेश वन विभाग की मदद से, वाइल्डलाइफ एसओएस ने 2014 में राजू को बचाया। पिछले 11 सालों में, राजू विशेषज्ञ पशु चिकित्सा पर्यवेक्षण और समर्पित देखभाल के तहत फल-फूल रहा है। अब 61 साल के राजू को सुबह की सैर, अपने पूल में ताज़ा पानी में डुबकी और खुले आसमान के नीचे धुल उड़ाने से भरी एक शांतिपूर्ण दिनचर्या पसंद है।

इस उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए समर्पित स्टाफ ने राजू के लिए एक शानदार फलों की दावत का आयोजन किया, जिसमें उसके पसंदीदा व्यंजन शामिल थे - रसीले तरबूज, खीरे और खजूर, जिन्हें उसने स्पष्ट रूप से प्रसन्नता के साथ खाया। एक स्वादिष्ट उपहार के रूप में, राजू के देखभालकर्ता ने उसके लिए दलिया और चावल से बना विशेष केक भी तैयार किया और उसके ऊपर उसके पसंदीदा फल सजाए।

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