शब्दों से बड़ा दोस्त दुनिया में कोई नहीं होता : श्रीमती रमा वर्मा 'श्याम


- वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती रमा वर्मा 'श्याम' की हीरक जयंती पर उनको समर्पित पुस्तक का यूथ हॉस्टल में किया विमोचन 

- साहित्य और सामर्थ्य की उर्वर वसुंधरा हैं रमा वर्मा 'श्याम': सोम ठाकुर


आगरा। श्याम वर्तिका ट्रस्ट एवं साहित्य साधिका समिति के संयुक्त तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती रमा वर्मा 'श्याम' की हीरक जयंती पर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित ग्रंथ "साहित्य और सामर्थ्य की उर्वर वसुंधरा: रमा वर्मा श्याम" का विमोचन रविवार को यूथ हॉस्टल में आगरा व देश के जाने-माने साहित्यकारों द्वारा किया गया।

           इस अवसर पर मिले अपार स्नेह से अभिभूत श्रीमती रमा वर्मा 'श्याम' ने सभी का आभार व्यक्त करने के बाद कहा कि शब्दों से बड़ा दोस्त दुनिया में कोई नहीं होता। जब से मैं शब्दों से जुड़ी, मेरे दर्द और राह की बाधाएँ मेरा कुछ नहीं कर पाईं। ये शब्द जब पर्वत की तरह हौसला बनाकर मेरे साथ जीवन डगर पर मजबूती से चलने लगे तब मेरे रास्तों पर फूल बिछ गए और मेरे अँधेरे खुद-ब-खुद रास्ते छोड़ने लगे।

          अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि सोम ठाकुर ने अध्यक्षीय उद्बोधन में रमा वर्मा को कवित्व की एक सशक्त संभावना बताते हुए कहा कि वह साहित्य और सामर्थ्य की उर्वरा वसुंधरा हैं। *मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रो. उषा यादव* ने कहा कि रमा जी की कहानियों में कविता, कहानी और संस्मरण विद्या का अद्भुत संयोजन है। 

       पुस्तक की संपादक डॉ. यशोधरा यादव 'यशो' ने कुछ इस तरह रमा जी की रचना धर्मिता को नमन किया- " जब जब हृदय के द्वार पर दस्तक हुई संघर्ष की। तब तब रमा की लेखनी लिखती कथा उत्कर्ष की.."

         पुस्तक की संपादक डॉ. रमा 'रश्मि' ने कहा कि हृदय में विशालता और आँखों में विश्वास की चमक लिए लक्ष्य तक पहुँचने की चाहत ही रमा जी को निरंतर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।

       मुख्य वक्ता डॉ. आरएस तिवारी 'शिखरेश' ने रमा जी के जिजीविषा से ओतप्रोत लेखन की सराहना की। विशिष्ट अतिथि डॉ. सुषमा सिंह ने उन्हें एक ऐसी रचनाकार बताया जिनके आँसू ही शब्द बन गए। 

       विशिष्ट अतिथि कमलेश त्रिवेदी फर्रुखाबादी ने रमा जी की रचना धर्मिता को प्रेम, विश्वास और समर्पण का अनूठा संगम कहा। विशिष्ट अतिथि डॉ. देवेंद्र तोमर (मुरैना) ने कहा कि रमा वर्मा का जीवन और साहित्य हजारों-लाखों स्त्रियों के लिए प्रेरणादायक है। 

        विशिष्ट अतिथि डॉ. राजेंद्र मिलन ने कहा कि वह कविता रचती ही नहीं बल्कि स्वयं कवयित्री स्वरूप को मूर्तिमान कर देती हैं। 

        समारोह का संचालन संपादक द्वय डॉ. यशोधरा यादव 'यशो' एवं डॉ. रमा 'रश्मि' ने किया। निशिराज ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। गौरव गुंजन ने आभार व्यक्त किया।

         रीता शर्मा, संगीता अग्रवाल, डॉ. ममता भारती, डॉ. कुसुम चतुर्वेदी, डॉ. शेषपाल सिंह शेष, सुशील सरित, अशोक अश्रु, डॉ. शैलबाला अग्रवाल, डॉ. अनिल उपाध्याय, डॉ. नीलम भटनागर, डॉ. रेखा कक्कड़, विजया तिवारी, साधना वैद, राजकुमारी चौहान, शशि सिंह, श्रीमती राज फौजदार, रमेश पंडित, आदर्श नंदन गुप्त, संजय गुप्त, शरद गुप्त, डॉ. शशि गुप्ता, कमल सैनी, मीरा परिहार, नूतन अग्रवाल, अलका अग्रवाल, आभा चतुर्वेदी, अनामिका शर्मा, पूनम तिवारी, महेंद्र सिंह फौजी, सौरभ समीर, रेखा शर्मा, विनय बंसल, डॉ. भावना और सुधीर शर्मा ने हीरक जयंती पर रमा जी को बधाई और शुभकामनाएँ देते हुए उनका हार्दिक अभिनंदन किया।

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