भारी मुसीबत: कुएँ में गिरा 55 किलो का अजगर सांप, वाइल्डलाइफ एसओएस ने सफलतापूर्वक बचाया, वाइल्डलाइफ एसओएस की हॉटलाइन (+91 9917109666) पर दें सूचना



जैसे-जैसे फसल कटाई का मौसम अपने चरम पर पहुंच रहा है, उत्तर प्रदेश के किसान अपने खेतों में अजगरों के दिखने की संख्या में वृद्धि देख रहे हैं। इसका तुरंत जवाब देते हुए, वाइल्डलाइफ एसओएस ने हाल ही में स्थानीय किसानों और वन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर कई अजगर बचाव अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इनमें से सबसे उल्लेखनीय बचाव 13 फुट लंबे और 55 किलो वजनी अजगर का था, जिसे एक कुएं से बचाया गया। इसके अलावा, आगरा और मथुरा में तीन अन्य अलग-अलग स्थानों से अजगरों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया, जिसमें एक आलू के खेत से 10 फुट लंबा अजगर, दूसरा बिटुमेन ड्रम परिसर के पास और तीसरा एक धान के खेत से बचाया गया।

सबसे चुनौतीपूर्ण बचाव आगरा के किरौली में हुआ, जहां एक 13 फुट लंबा भारतीय रॉकअजगर एक गहरे कुएं में पाया गया। स्थानीय किसानों और वन अधिकारियों ने अजगर के दिखने की सूचना वाइल्डलाइफ एसओएस की हॉटलाइन (+91 9917109666) पर तुरंत कॉल कर के दी। बचावकर्मियों की टीम मौके पर पहुंची, जहां उन्होंने अजगर को कुएं से रेस्क्यू करने का चुनौतीपूर्ण कार्य किया। अजगर के विशाल आकार और कुएं की गहराई के कारण बचाव अभियान में समय लगा। टीम ने एक अनूठा तरीका अपनाते हुए कुएं में एक जूट बैग डाला। बचावकर्ताओं में से एक ने धीरे-धीरे अजगर को बैग की ओर मोड़ते हुए उसे सुरक्षित बैग के अंदर पहुंचाया। काफी प्रयासों के बाद, अजगर को सुरक्षित रूप से कुएं से बाहर निकाला गया और बाद में उसे जंगल में रिलीज़ कर दिया गया।

उसी दिन, वाइल्डलाइफ एसओएस ने तीन अन्य अजगर बचाव अभियान भी चलाए। मथुरा के कुरकुंडा में, एक 10-फुट लंबा भारतीय रॉक पाइथन आलू के खेत में आराम करता हुआ मिला। किसानों ने अजगर के निशान एवं उसकी आकृति को भांपकर पहले ही उसकी उपस्थिति का अंदाजा लगा लिया और तुरंत वाइल्डलाइफ एसओएस हॉटलाइन पर कॉल किया। टीम आवश्यक उपकरणों से लैस होकर तुरंत मौके पर पहुंची और अजगर को सुरक्षित रूप से रेस्क्यू कर जंगल में वापस रिलीज़ कर दिया।

इसी दौरान, धाना तेजा में एक बिटुमेन ड्रम फिलिंग परिसर की दीवारों के पास एक 7 फुट लंबा अजगर देखा गया, और उसके तुरंत बाद, मथुरा के परखम गांव से धान के खेत में एक और अजगर के देखे जाने की सूचना मिली। इन सभी मामलों में, वाइल्डलाइफ एसओएस की बचाव टीम ने अपनी विशेषज्ञता और कुशलता का परिचय देते हुए सरीसृपों को सुरक्षित रूप से बचाया और उन्हें उनके प्राकृतिक आवासों में छोड़ दिया।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा,"अजगरों की यह बढ़ी हुई उपस्थिति मौसम में बदलाव और फ़सल कटाई की गतिविधियों का स्वाभाविक परिणाम है, जिसके कारण अजगर सुरक्षित आराम की जगह की तलाश में आते हैं। हम किसानों के सहयोग एवं सहायता की सराहना करते हैं, जिससे हमें इन जानवरों की रक्षा करने में मदद मिलती है, और लोगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है।"

वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स और हर्पेटोलोजिस्ट (सरीसृपविज्ञानी) बैजूराज एम.वी.ने बताया, "हम अपने काम को स्थानीय लोगों और जंगली जानवरों के बीच एक पुल के रूप में देखते हैं, जो इस प्रकार की परिस्थितियों के लिए एक सुरक्षित समाधान प्रदान करता है। प्रत्येक रेस्क्यू के साथ, हम लोगों और उनके आस-पास के वन्यजीवों के बीच संवाद को मजबूत करते हैं।"

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