जानें शरद पूर्णिमा का महत्व, पूजन विधि और शुभ मर्हूत : एस्ट्रोलॉजर डॉ शिल्पा जैन


एस्ट्रोलॉजर डॉ शिल्पा जैन की कलम से


सालभर से लोगों को शुरद पूर्णिमा का इंतजार रहता है। क्योंकी शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन अमृत वर्षा होती है। और आज के दिन घर में खीर बनाने का रिवाज सालों से चला आ रहा है। तो आज आपको इन सब बातों पर प्रकाश डालने जा रही है प्रख्यात एस्ट्रोलॉजर डॉ शिल्पा जैन -


अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा को राज पूर्णिमा कोजागिरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा इसलिए कहा जाता है कि यह एक ऐसा समय है जब सुबह शाम एवं रात्रि के समय हमें सर्दी का अनुभव होता है । चौमासा यानी भगवान विष्णु सो रहे होते हैं यह समय अपने अंतिम चरण में रहता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण गोपियों के साथ महारास आज के दिन रचते हैं इसीलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। जिनकी भी कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो या चंद्रमा की दशा या अंतर्दशा चल रही हो उन्हें आज के दिन चंद्रमा के समक्ष कुछ देर अवश्य बैठकर ध्यान करना चाहिए एवं चंद्रमा का मंत्र ॐ सोम सोमाय नमः का जाप अवश्य करना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार साल में सिर्फ शरद पूर्णिमा का दिन है जिसमें चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है ।सभी पूर्णिमा में सबसे खास शरद पूर्णिमा को माना गया है इस दिन चंद्रमा का सौंदर्य और आभा बिल्कुल अलग रहता है। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि चांद की खूबसूरती को देखने के लिए देवता गण स्वयं पृथ्वी पर आते हैं । ऐसी मान्यता है कि मां लक्ष्मी आज की रात पृथ्वी पर भ्रमण करती है एवं जो भी भक्तगण रात्रि जागरण एवं पूजा करते हैं उन पर विशेष कृपा बरसाती है।


शुभ मर्हूत 

 शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर बुधवार रात 8ः40 बजे से शुरू होकर 17 अक्टूबर 4ः55 तक रहेगा। अतः शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा एवं शरद पूर्णिमा का पूजन 16 अक्टूबर के दिन ही किया जाएगा। शरद पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान के पश्चात पूजा स्थल पर माता लक्ष्मी और श्रीहरि की प्रतिमा स्थापित करें ।भगवान के सामने घी का दीपक जलाए, उन्हें अक्षत रोली से तिलक करें । तिलक के पश्चात पीले या सफेद रंग की मिठाई और चावल से बनी खीर का भोग लगाएं। मां को लाल या पीले पुष्प अर्पित करें। शाम को चंद्रमा निकलने पर चांद के समक्ष भोग में बनाई गई खीर अवश्य रखें । रात भर चंद्रमा की रोशनी मे रखें ऐसा करने से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। 


आज के दिन खीर बनाने का विशेष नियम है

आज के दिन खीर बनाने का विशेष नियम है मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर चांद की किरणें अमृत बरसाती है और खीर में अमृत का अंश मिल जाता है और इस खीर का जो लोग भी उपयोग करते हैं उन्हें स्वास्थ्य लाभ और आर्थिक उन्नति की प्राप्ति होती है। शरद पूर्णिमा की रात को जागरण करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है ।देर तक जागने के बाद भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी जी की पूजा के बाद ही सोने जाना चाहिए। रात में जगने के कारण इस पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा यानी जागने वाली रात भी कहते हैं। इस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है। ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है। आज के दिन श्री सुक्तम का पाठ, कनकधारा स्तोत्र का पाठ ,विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ ,मधुराष्टकम् के मंत्र का जाप अवश्य करें एवं हनुमान जी के समक्ष चौमुखा दीपक जलाएं। भगवान विष्णु जी को तुलसी का भोग अवश्य लगाएं एवं मां तुलसी के सामने दीपक अवश्य जलाएं । आज के दिन चंद्रमा के समक्ष रखे हुए खीर का बहुत महत्व है ।अतः मे सभी इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें ।


यह शरद पूर्णिमा आपके जीवन में सुख समृद्धि और स्वास्थ्य लाभ लेकर आए यही कामना करती हूं। शरद पूर्णिमा का चांद सबसे सुंदर होता है और सबसे ज्यादा आशीर्वाद देता है आशा करती हूं इस रात आप सभी पर चंद्रमा का भरपूर आशीर्वाद बरसे।


    एस्ट्रोलॉजर डॉ शिल्पा जैन की कलम से

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