- 35 से अधिक देशों के लगभग 200 से अधिक एग्जीबिटर्स होंगे शामिल
- आगरा ट्रेड सेंटर में एक छत के नीचे नजर आएगा विश्व का फुटवियर बाजार
आगरा। जूता उद्योग के महाकुम्भ के रूप में विख्यात लेदर, फुटवियर कंपोनेंट्स एन्ड टेक्नोलाॅजी फेयर ‘मीट एट आगरा’ के 16वें संस्करण की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। इस इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में क्या खास होगा, कितने देशों की भागीदारी होगी, ऐसे तमाम सवालों के जवाब में सोमबार को वाईपास रोड स्थित होटल लेमन ट्री में आयोजित प्रेसवार्ता में सामने आये। आगरा फुटवियर मैन्युफेक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स चैम्बर (एफमेक) द्वारा सींगना स्थित आगरा ट्रेड सेंटर पर आयोजित हो रहा तीन दिवसीय फेयर मीट एट आगरा 08 से 10 नवम्बर 2024 तक चलेगा।
आयोजन के विषय में जानकारी देते हुए एफमेक के अध्यक्ष पूरन डावर ने बताया कि डेढ़ दशक की अपनी यात्रा में इस आयोजन ने देश में ही नहीं दुनियां में भी अपनी खास पहचान बनाई है। लगभग 35 से अधिक देश और लगभग 200 से अधिक एग्जीबिटर्स इस साल इस आयोजन में भाग ले रहे हैं। इस फेयर में इस साल लगभग 6 हजार ट्रेड विजिटर्स और 20 हजार से अधिक फुटफाॅल के आने की संभावना है। भारत विश्व की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है इसको रफ्तार देने में आगरा का जूता उद्योग अहम् भूमिका निभा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार और ओद्योगिक संगठनों के इन प्रयासों से मौजूदा 26 अरब डाॅलर का भारतीय फुटवियर बाजार 2030 तक 47 अरब डाॅलर तक हो सकता है। यह वृद्धि मुख्य रूप से भारत में गैर-चमड़े के जूते जैसे खेल के जूते. दौड़ने के जूते, कैजुअल वियर और स्नीकर्स की मांग में हो रही वृद्धि का फायदा उठाकर हो सकती है।
एफमेक के कन्वीनर कैप्टन ए.एस. राणा ने कहा कि आज हम चाइना के एक मजबूत विकल्प के रूप में खड़े हैं इस बात को कहने में कोई गुरेज नहीं है कि यह भारत का टर्न है। टाटा, रिलायंस, वालमार्ट और फ्यूचर ग्रुप जैसी बड़ी कंपनियों ने चाइना से आयात पूरी तरह बंद कर चुकी हैं। ये कंपनियां आज भारतीय प्रोडक्ट पर निर्भर हैं। यही कारण है कि हमारा घरेलू बाजार लगातार ग्रोथ हासिल कर रहा है। अब वक्त है हम अपने प्रोडक्ट्स की क्वालिटी वैश्विक बाजार को ध्यान में रखकर विकसित करें।
टेक्नीकल सेशंस में दिखेगा जूता उद्योग का वर्तमान और भविष्य
एफमेक महासचिव राजीव वासन ने कहा कि फुटवियर कंपोनेंट इंडस्ट्री जब मजबूत होगी तभी अच्छा जूता बन सकता है यह फेयर कंपोनेंट इंडस्ट्री के और मेन्युफक्चर्स के प्रोत्साहन में एक सेतु की तरह काम कर रहा है। फेयर में टेक्नीकल सेशंस भी होंगे जिनमें विशेषज्ञ विभिन्न विषयों पर व्याख्यान देंगे, जिनमें डिजाइन ट्रेंड्स, मैन्युफैक्चरिंग तकनीक, मार्केटिंग स्ट्रेटजी जैसे विषय शामिल हैं। खास बात यह है कि टेक्नीकल सेशंस में जूता उद्योग का वर्तमान और भविष्य दिखेगा जिसकी बुनियाद पर आप अपने कारोबार में भविष्य कि दिशा तय कर सकते हैं।
भारत में फुटवियर पर प्रति व्यक्ति खर्च अन्य देशों की तुलना में है बहुत कम
एफमेक सचिव ललित अरोड़ा ने बताया कि भारत में जूतों-चप्पल पर खर्च अभी बेहद कम है, एक रिपोर्ट के अनुसार यहां इसपर प्रति व्यक्ति खर्च 1500 रुपए के लगभग रहता है जो दुनिया के बाकी बाजारों के मुकाबले काफी कम है। साथ ही भारतीय बाजारों में करीब 70 फीसदी हिस्से पर चमड़े के जूते चप्पलों का ही कब्जा है। इस उद्योग से 45 लाख लोग जुड़े हुए हैं। उनमें 40 फीसदी से ज्यादा महिलाएं काम करती हैं।
सस्ते आयात पर लगाम जरूरी है, भारत में चीन और दूसरे देशों से बड़े पैमाने पर आयात होता है। हमारा मानना है कि तीन डाॅलर आयात मूल्य से कम के जूतों-चप्पलों पर कस्टम ड्यूटी 35 फीसदी कर दी जानी चाहिए और घरेलू उद्योग को न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा दिया जाना चाहिए। इससे देश के उत्पादकों को लाभ होगा। भारतीय फुटवियर सेगमेंट पहले से ही तेज गति से विस्तार कर रहा है। इस तरह के आयोजन इस उद्योग के विकास को अगले स्तर तक ले जाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
इंडस्ट्री के लिए गेम चेंजर साबित हो रहा है आयोजन
एफएफएम अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने कहा कि साल-दर-साल हमने देखा है कि यह आयोजन इंडस्ट्री के लिए गेम चेंजर साबित हो रहा है। फेयर फुटवियर क्षेत्र के विभिन्न उद्यमियों के लिए नेटवर्किंग और व्यापार के अवसरों का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच के रूप में काम कर रहा है। यह अंतरराष्ट्रीय फुटवियर मेला फुटवियर क्षेत्र से संबंधित उत्पादों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का प्रदर्शन करेगा। इसमें मशीनरी उपकरण, फुटवियर कम्पोनेंट्स, सिंथेटिक सामग्री आदि शामिल हैं।
उत्पादन और निर्यात क्षमता का लाभ उठाना चाहिए
एफमेक के प्रदीप वासन ने कहा कि भारत में दुनियाभर के कुल उत्पादन का 13 फीसदी उत्पादन होता है। साथ ही वैश्विक निर्यात का करीब 2.2 फीसदी हिस्सा भारत से किया जाता है। जीटीआरआई के मुताबिक भारत में न केवल उत्पादन बढ़ाने और निर्यात में भी इजाफा करने की भी पर्याप्त क्षमता मौजूदा है। ऐसे में सरकार और उद्यमियों के पारस्परिक तालमेल से इस मौके का लाभ उठाया जा सकता है।
इस मौके पर एफमेक के सुधीर गुप्ता, अनिरुद्ध तिवारी, एफएएफएम के अध्यक्ष कुलदीप कोहली, महासचिव नकुल मनचंदा, रोमी मगन, आस्मा के अध्यक्ष उपेंद्र सिंह लवली आदि विशेष रूप से मौजूद रहे।
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