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शस्य श्यामला धरती पर भारत देश विशाल की।
हिन्दी तो बिंदी है भारत माँ के भाल की।।
संयुक्त राष्ट्र में रंग जमाती भारत की भाषा कहलाती ।
आयुर्वेद-योग सिखलाकर अखिल विश्व में मान बढ़ाती।।
संस्कृत और पाली की वंशज,भाषा है हर लाल की।
हिंदी तो बिंदी है भारत माँ के भाल की।।
शस्य श्यामला धरती पर भारत देश विशाल की....।
गुणी जनों ने इसको जाना वेद-पुराणों को पहिचाना।
शांति और सौहार्द्र का नाता सुख की दुःख की है परिभाषा..
मौली चंदन सी प्रिय लगती कुमकुम और गुलाल सी ।
हिंदी तो बिंदी है भारत माँ के भाल की।।
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- प्रार्थना मिश्रा
आगरा
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