सामाजिक सरोकार और सांस्कृतिक दस्तावेज की जीती-जागती लाइब्रेरी थे मुंशी प्रेमचंद - डॉ यशोयश




AGRA |  नागरी प्रचारिणी सभा आगरा द्वारा आयोजित प्रेमचंद जयंती समारोह के मुख्य वक्ता व वरिष्ठ साहित्यकार अरुण डंग ने अपने आतिथ्य उद्बोधन में कहा कि मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में दहेज बेमेल विवाह, पराधीनता, लगान, छूआछूत, जातिभेद, विधवा विवाह, आधुनिकता, स्त्री-पुरुष समानता आदि उस दौर की सभी प्रमुख समस्याओं का चित्रण मिलता है।

          कार्यक्रम का संचालन करते हुए नागरी प्रचारिणी सभा की उप सभापति प्रो.कमलेश नागर ने कहा कि कहानियों, उपन्यासों में  ग्रामीण परिवेश का जीवंत चित्रण करने वाले मुंशी प्रेमचंद आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कि कल थे।

          अतिथियों का स्वागत करते हुए पूर्व प्राचार्य आगरा कॉलेज आगरा व नागरी प्रचारिणी सभा के उप सभापति डॉ. विनोद माहेश्वरी ने कहा कि साधारण शब्दों के माध्यम से कहानियों और उपन्यासों में जादू सा बिखेरने वाले मुंशी प्रेमचंद हर वर्ग में लोकप्रिय हैं।

          समारोह के अध्यक्ष व नागरी प्रचारिणी सभा के सभापति डॉ.खुशीराम शर्मा ने अपने उद् बोधन  में कहा कि सन् 1906 से 1936 के बीच लिखा गया प्रेमचंद का साहित्य इन तीस वर्षों का सामाजिक सांस्कृतिक दस्तावेज है।

          कवि एवं साहित्यकार डॉ.यशोयश ने अपने विचारों को मुंशी प्रेमचंद से जोड़ते हुए कहा कि सामाजिक सरोकारों और सांस्कृतिक दस्तावेज की जीती-जागती लाइब्रेरी थे मुंशी प्रेमचंद! जिन्होंने मनुष्य के जीवन की मौलिकता का आत्मीय खाका खींचने का अभूतपूर्व रचनात्मक कार्य किया।

          प्रसिद्ध कवयित्री डॉ.शशि तिवारी ने सरस्वती वंदना कर कार्यक्रम का सुभारंभ किया। अंत में धन्यवाद देते हुए नागरी प्रचारिणी सभा के मंत्री डॉ. चंद्रशेखर शर्मा ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद की कहानियां केवल कहानियां ही नहीं बल्कि एक अलौकिक प्रकाश की भांति हैं जो हमारी सामाजिक और निजी भ्रांतियों के अंधेरे को मिटाने का प्रयास करती हैं।

           समारोह के अवसर पर प्रो.रामवीर सिंह, रमेश पंडित, शीलेंद्र  कुमार, संजय गुप्त, शरद गुप्त, रविन्द्र वर्मा, डॉ.अनामिका भारद्वाज ने अपने विचार व्यक्त किए और अभिषेक शर्मा, विजय शर्मा, शुशील कुमार सिंह, प्रभु दत्त उपाध्याय आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। 

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