टीबी मरीजों को खोजने में आगरा ने प्रदेश में दूसरी रैंक हासिल की









- कैम्प लगा कर खोजे जा रहे हैं नये टीबी मरीज

- उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर लगाए जा रहे हैं शिविर


आगरा ।  देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा हैं । विभाग द्वारा जनपद में टीबी उन्मूलन के लिए नये टीबी रोगियों को खोज कर उन्हें इलाज व सरकारी सुविधाओं से जोड़ने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। विभाग के इन्हीं प्रयासों के कारण टीबी मरीजों को खोजने में आगरा ने प्रदेश में दूसरी रैंक हासिल की है। यह रैंक आगरा को शासन द्वारा एक जनवरी से 13 जुलाई के बीच पूरे प्रदेश में हुई टीबी जांच की रिपोर्ट के आधार पर जारी की है।


मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि पोर्टेबल एक्स रे मशीन से कैम्प लगा कर नये टीबी मरीज खोजे जा रहे हैं, नये टीबी मरीज खोजने के लिए शहर और गांव में प्रतिदिन दो कैंप लगाए जाते हैं जिसमें लगभग 130  लोगों की स्क्रीनिंग की जाती है। संभावित मरीजों पोर्टेबल एक्स रे मशीन और बलगम का स्पुटम कलेक्ट करके दोनों तरह से जांच कराई जा रही है । दस्तक अभियान में भी स्वास्थ्य कर्मियों को टीबी की जांच अनिवार्य रूप से करने के निर्देश दिए गए। ओपीडी में आने वाले मरीजों की टीबी जांच के लिए सैंपल एकत्र किया जा रहा है। टीबी जांच में जिले को पहले स्थान पर लाने का लक्ष्य है। 


जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सुखेश गुप्ता ने बताया कि आगरा में कुल 27230 टीबी मरीजों को खोजने के सापेक्ष विभाग द्वारा 16888 टीबी मरीजों का नोटिफिकेशन किया गया। इसमें 13509 मरीजों में टीबी की पुष्टि हुई। आगरा ने लक्ष्य को प्राप्त करने में 62 प्रतिशत सफलता प्राप्त कर प्रदेश में दूसरी रैंक हासिल की है। वहीं बरेली ने 62.06 प्रतिशत सफलता दर के साथ प्रदेश में पहली रैंक हासिल की है। 


डीटीओ ने बताया कि कैम्प लगा कर नये टीबी मरीज खोजे जा रहे हैं। कैम्प के लिए पहले से योजना तैयार कर ली जाती है और खासतौर से उच्च जोखिम क्षेत्रों में शिविर लगाए जाते हैं। नये टीबी मरीज खोज कर समय से इलाज शुरू कर देने से इसके संक्रमण की चेन टूटती है। लक्षण दिखने पर लोग अपने ब्लॉक में लगने वाले कैम्प में पहुंच कर टीबी जांच करवा सकते हैं। डीटीओ ने बताया कि जनपद में 16 मार्च से 23 जुलाई के बीच विभिन्न स्थानों पर 176 कैंप लगाए गए। इन कैंप में 19255 संभावित टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग की गयी । सभी संभावित मरीजों की जांच पोर्टेबल एक्स रे मशीन से की गयी। इसके बाद 5351 मरीजों का मरीजों के बलगम का स्पुटम  लेकर जांच के लिए भेजा गया, जिसमें 521 मरीजों में टीबी की पुष्टि हुई। सभी नये टीबी मरीज का उपचार शुरू कर दिया गया है और निक्षय पोषण योजना से भी जोड़ दिया गया है। 


नगला अजीता निवासी 60 वर्षीय ज्ञान देवी (बदला हुआ नाम) बताती है कि उनकी उम्र 60 वर्ष है। उन्हें लंबे समय से खांसी और तेज बुखार हो रहा था, इसके साथ ही उनका वजन भी काफी कम हुआ। वह क्षेत्रीय लोकल डॉक्टर से खांसी और बुखार के लिए दवाई लेती थी । जिससे थोड़ा आराम मिलता था लेकिन स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं आ रहा था । ज्ञान देवी ने बताया कि लोहा मंडी टीबी यूनिट के टीबीएचवी राकेश कुमार ने मेरे लक्षणों के आधार पर 18 जुलाई को नगला अजीता में आयोजित कैंप में मेरी टीबी की जांच कराई। पहले पोर्टेबल एक्स रे मशीन से मेरी जांच हुई, उसके बाद जांच के लिए मेरा बलगम लिया गया । दोनों टीबी जांच आने के पश्चात मुझे पता चला कि मुझे फेफड़े का टीबी हो गया है, इसके पश्चात 20 जुलाई से मेरा उपचार शुरू हो गया है, मैं नियमित दवा का सेवन कर रही हूं । डॉक्टर द्वारा दी गई सलाहों का भी पालन कर रही हूं। डॉक्टर ने मुझे मास्क पहनने और खांसने पर मुंह पर हाथ रखने की भी सलाह दी है।


टीबी मरीजों को मिलती है यह सुविधा


- सरकारी प्रावधानों के अनुसार जांच व इलाज

- निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज चलने तक खाते में 500 रुपये प्रति माह की दर से

- निकट सम्पर्कियों की टीबी जांच और बचाव की दवा का सेवन

- टीबी की सीबीनॉट जांच। साथ में मधुमेह और एचआईवी की जांच

- सम्पूर्ण दवा और परामर्श

यह लक्षण दिखे तो कराएं जांच

- अगर दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी,

- सीने में दर्द, बलगम में खून आना

- शाम को पसीने के साथ बुखार

- भूख न लगना

- तेजी से वजन गिरने जैसे लक्षण हो तो जांच अवश्य करवाना चाहिए

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