आईवीएफ डे :26 वर्ष पहले जन्मा था प्रदेश का पहला टेस्ट ट्यूब बेबी

- 26 वर्ष पहले जन्मा था प्रदेश का पहला टेस्ट ट्यूब बेबी

- आईवीएफ डे : रेनबो आईवीएफ में मनाया गया उत्सव

- आईवीएफ के क्षेत्र में कीर्तिमान गढ़ चुकी हैं डॉक्टर जयदीप मल्होत्रा


आगरा। उत्तर प्रदेश में पहली बार 1998 में आईवीएफ तकनीक से आगरा के मल्होत्रा नर्सिंग एंड मैटरनिटी होम में टेस्ट ट्यूब बेबी उत्सव का जन्म हुआ था, जो एक अगस्त 2024 को 26 साल का हो जाएगा। इस उपलब्धि पर उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल में बुधवार को उत्सव मनाया गया। अपने माता-पिता के साथ आए आईवीएफ से जन्मे बच्चों ने सिंगिंग और डांस कर समारोह की रौनक बढ़ा दी। बच्चों व उनके परिजनों को गिफ्ट और एक-एक पौधा भेंट किया गया।

विश्व में आईवीएफ के क्षेत्र में कीर्तिमान बना चुकीं डॉक्टर जयदीप मल्होत्रा (एमडी, रेनबो आईवीएफ) ने आईवीएफ से पैदा हुए बच्चों और उनके माता-पिता को शुभकामनाएं दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने बताया कि 1997 में मल्होत्रा टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर की स्थापना की गई थी। उस समय यह प्रदेश का पहला प्राइवेट टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर था। आईवीएफ की सक्सेस इसे खास बनाती है। 1998 में हमें आईवीएफ पद्धति से पहले शिशु का जन्म कराने में सफलता मिली तो यह हमारे लिए किसी उत्सव से कम नहीं था। आगरा निवासी लाभान्वित परिवार के लिए यह सबसे बड़ी खुशी थी। लिहाजा इस पहले शिशु का नाम उत्सव रखा।

  वे बताती हैं कि हमने रेनबो आईवीएफ के सफर को लगातार गति दी। समय-समय पर अत्याधुनिक तकनीक से सेंटर को अपग्रेड किया। हमारे पास अत्याधुनिक आईवीएफ लैब है। उत्कृष्ट एंब्रॉलजिस्ट हैं जो सेंटर के महत्वपूर्ण अंग होते हैं।

डॉक्टर जयदीप ने बताया कि 2004 में नेपाल में आईवीएफ सेंटर स्थापित किया। यह नेपाल का पहला आईवीएफ सेंटर था। अब तक करीब 20 हजार आईवीएफ बेबी पैदा हो चुके हैं। इनमें नेपाल में पैदा हुए तीन हजार बेबी भी शामिल हैं। उन्होंने बताया हमारे यहां दुनियाभर से निः संतान दंपती इलाज के लिए आते हैं। 

वे बताती हैं कि हमने भारत के प्रसिद्ध तीन मेडिकल कॉलेजों में आईवीएफ सेंटर स्थापित कराए हैं। उनकी हर तरह की सहायता कर रहे हैं। रेनबो आईवीएफ सेंटर प्रशिक्षण केंद्र के रूप में भी सर्वश्रेष्ठ है। अपने यहां देश-विदेश से ट्रेनी डॉक्टर और एंब्रॉलजिस्ट आते हैं, उन्हें यहां ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वे अपने शहर में जाकर आईवीएफ पद्धति से इलाज कर सकें।

आईवीएफ के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए विश्व स्तर पर डॉक्टर जयदीप मल्होत्रा को समय-समय पर सम्मानित किया जा चुका है। 2024 में मनीला में एस्पायर डिस्टिंग्विश्ड अवार्ड मिला। 2018 में उन्हें इंडियन सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ रिप्रोडक्टिव एंड फर्टिलिटी (आईएसएसआरएफ) की ओर से लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। नेपाल के पहले और फिर हजारों आईवीएफ शिशुओं का जन्म कराने का रिकॉर्ड डाॅ जयदीप और डॉ नरेंद्र मल्होत्रा के नाम है। उन्हें नेपाल सम्मान से वहां की सरकार की ओर से नवाजा जा चुका है।

आईवीएफ विशेषज्ञ डॉक्टर निहारिका मल्होत्रा ने बताया कि मल्होत्रा टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर को हमने वर्ष 2013 में आधुनिक तकनीक और विश्वस्तरीय लैब के साथ रेनबो आईवीएफ के नाम से पहचान दी। यह सफर यहीं नहीं रुका, बल्कि दिल्ली, नेपाल, लुधियाना, जालंधर, हिसार, बरेली, वाराणसी और बांग्लादेश आदि मिलाकर 18 सेंटर स्थापित किए। ये केंद्र नि:संतान दंपतियों के सपने पूरे कर रहे हैं।

रेनबो आईवीएफ के डायरेक्टर और एंब्रॉलजिस्ट डॉक्टर केशव मल्होत्रा ने बताया कि अपने यहां लैब विश्वस्तरीय है। यहां सभी सुविधाएं मौजूद हैं। आरआई विटनेस आधुनिक तकनीक है, जिसमें सैंपल्स या एग्स के मिक्सअप की संभावना नहीं रहती। एंब्रियो कल्चर से जुड़ी एक अन्य आधुनिक तकनीक या उपकरण है एंब्रियोस्कोप। लैब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस है। इक्सी के लिए आधुनिक तकनीक है। मल्टी शॉट लेजर सिस्टम है। इस सेंटर की खासियत है कि यहां कस्टमाइज केयर की जाती है। कपल के कारण जानने के बाद उनके लिए व्यक्तिगत प्रोटोकाॅल बनाया जाता है जो बाकी आईवीएफ सेंटर से बहुत अलग है।

उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल के एमडी एवं प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि नि:संतान दंपतियों को निराश होने की जरूरत नहीं है। इस प्रक्रिया से सुरक्षित और स्वस्थ बच्चे पैदा होते हैं। उम्र बढ़ने पर टेस्ट ट्यूब से बेबी होने के अवसर कम होते हैं। इस स्थिति में खर्च भी ज्यादा आता है। कम उम्र पर सफल होने की उम्मीद ज्यादा होती है।

इस मौके पर डॉक्टर आरसी मिश्रा, डॉक्टर विनय तिवारी, डॉक्टर वंदना कालरा, डॉक्टर नीरजा सचदेव, डॉक्टर मनप्रीत शर्मा, कार्डिक सर्जन डॉक्टर पुनीत गुप्ता, डॉक्टर सरिता दीक्षित और उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल के बिजनेस हेड दिव्य प्रशांत बजाज उपस्थित थे।

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