गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर संस्कार भारती जिला आगरा (ब्रज प्रांत) ने नटराज पूजन संग 12 नृत्य कला गुरुओं का किया सम्मान



- गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर संस्कार भारती जिला आगरा (ब्रज प्रांत) ने संस्कृति भवन में नटराज पूजन संग 12 नृत्य कला गुरुओं का किया सम्मान

- विभिन्न संस्थाओं की 75 से अधिक उभरती प्रतिभाओं (कला गुरुओं की शिष्याओं) ने नृत्यांजलि की प्रभावी प्रस्तुति कर बांधा समां

आगरा। शनिवार शाम संस्कृति भवन में संस्कार भारती जिला आगरा (ब्रज प्रांत) द्वारा गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर नटराज पूजन एवं कला गुरु सम्मान समारोह-2024 का भव्य आयोजन किया गया। 

        इस दौरान कार्यक्रम अध्यक्ष एसके मिश्रा, स्वागताध्यक्ष भूप सिंह इंदौलिया, विशिष्ट अतिथि प्रो. लवकुश मिश्रा, संस्कार भारती के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य बांकेलाल गौड़, अखिल भारतीय कोषाध्यक्ष सुभाष चंद्र अग्रवाल, क्षेत्रीय संगठन मंत्री विजय कुमार, कार्यक्रम संयोजक राज बहादुर सिंह 'राज', संस्कार भारती के जिलाध्यक्ष राम अवतार यादव, जिला महामंत्री यतेन्द्र सोलंकी एवं जिला कोषाध्यक्ष राजेंद्र गोयल भी प्रमुख रूप से मंच पर मौजूद रहे।

         हरिमोहन सिंह कोठिया, डॉ. केशव शर्मा, मलखान सिंह तोमर, विजयवीर सिंह सिकरवार, वीके गोयल, देवशरण आर्य, हरेंद्र सिंह सिकरवार, डॉ. करतार चंद्र शास्त्री और राजपाल सिंह सोलंकी ने अतिथियों का स्वागत किया।

        इंजी. नितिन गुप्ता, नूतन अग्रवाल, नीतू वर्मा, श्यामवीर सिंह, वीरेंद्र बघेल, गुंजन जादौन, शिवानी शर्मा, रक्षपाल सिंह परमार, होतम सिंह सोलंकी, नंदकिशोर, उमा सोलंकी और बालकिशन पचौरी ने सभी व्यवस्थाएं संभालीं। 

       कार्यक्रम का निर्देशन प्रो. नीलू शर्मा व संयोजन-संचालन राज बहादुर सिंह राज ने किया। जिला महामंत्री यतेन्द्र सोलंकी ने आभार व्यक्त किया। 

इन्हें मिला "नृत्य कला रत्न"

समारोह में प्रो. नीलू शर्मा, रितु गिरि, रुचि शर्मा, निधि गुप्ता, तरु छाया सक्सेना, राशि जौहरी, पूनम शर्मा, अभिषेक निगम, रोशनी गिडवानी, दीपाली सिंह, आरती हरिप्रसाद और ज्योति खंडेलवाल सहित 12 नृत्य कला गुरुओं को नृत्य कला रत्न की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। अतिथियों ने सभी को उत्तरीय, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।

नृत्यांजलि ने लगाए चार चांद

समारोह में आगरा की एक दर्जन संस्थाओं की 75 से अधिक उभरती प्रतिभाओं (कला गुरुओं की शिष्याओं) ने नृत्यांजलि की प्रभावी प्रस्तुति कर समां बांध दिया। विशेषकर कादंबरी संस्था द्वारा ओडिसी नृत्य पर गणेश वंदना, प्राची संगीत कला केंद्र द्वारा कथक शैली में गुरु वंदना, उर्वशी डांस अकादमी द्वारा अंत्याक्षरी, रागा डांस अकादमी द्वारा तराना, मर्यादा नृत्य कला केंद्र द्वारा ध्रुपद, आमाद अकादमी द्वारा सरगम, ज्योति कला केंद्र द्वारा यमुनाष्टक, कालिंदी इंस्टीट्यूट द्वारा द्रोपदी चीर हरण, राग-रंग नाद द्वारा कथक एवं आरती नृत्य कला केंद्र द्वारा भरतनाट्यम शैली में रामायण ने सबको भाव-विभोर कर दिया।

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