विश्व पर्यावरण दिवस : पारा जाए 50C के पार, चिंतित हम क्यों, हो सरकार

 


आज हर कोई लगातार बढ़ रही गर्मी से चिंतित है। आपस में इसी गुफतगू में व्यस्त है कि यार गर्मी इस साल और भी अधिक है.... क्या करें ? तो वहीं कुछ सोच रहे होगें कि इस बार ए.सी .लगवा लूं, तो कुछ सोच रहे होगें इस बार काफी खर्चा हो गया अगली बार लगवा लेंगें। वैसे भी अब तो ए.सी. आम बजट में आ गया है। वहीं दिनभर की भागदौड़ में कम से कम रात में सोने के लिए ए.सी. ले लेना चाहिए। चलिए अच्छा है आधुनिक सुविधा का लाभ लेना चाहिए। लेकिन क्या किसी ने इस समस्या के बारे में सोचा की लगातार गर्मी में तापमान क्यों बढ़ रहा है। 

आज जब हम घर से निकलते हैं तो दोपहिया अथवा चार पहिया वाहन पर सवार होकर निकलते हैं। अगर चारपहिया वाहन में होते हैं तो गाड़ी ऑन करते ही उसका ए.सी. भी ऑन हो जाता है। अगर दोपहिया वाहन पर होते हैं तो कोशिश करते हैं कि सिग्नल पर रूकना न पड़े  चाहें सिग्नल का नियम ही क्यूं न तोड़ना पड़े। नही ंतो रूकने के लिए रोड़ पर कहीं छाया के लिए कोई पेड़ देखते हैं, दिख भी जाता है तो हमें वहां पहले से ही लोग रूके होते हैं। हर साल गर्मी का स्तर क्यूं बढ़ता जा रहा है ? सोचिए जरा !

उम्मीद है सोच लिया होगा । असल में बात तो यही है कि परेशानी हमारे सामने है हमें उसका निस्तारण भी पता है लेकिन हम जिम्मेदारी खुद न उठाकर दूसरों के ऊपर डालने की कोशिश करते है। जैसे गर्मी बढ़ने का कारण हर दिन हो रहे पेड़ो का कटान और कंक्रीट के बढ़ते जंगल है।

 आज हम और देश तरक्की तो कर रहे हैं। आज हम सौर ऊर्जा, नाईट्रोजन, हिलीयम, आक्सीजन आदि से नये नये अविष्कार करने में लगे हैं। सूर्य ऊर्जा से बिजली उत्पादन करने में लगे हैं लेकिन लगातार कम हो रहे पेड़ों की संख्या पर चिंतित नहीं। वहीं जब हमारे जहन में यह चीजें आती है तो हम यह सोचकर सोचना बंद कर देते हैं कि यह काम तो सरकार का, सामाजिक संस्थाओं या स्थानीय प्रशासन का है ।

यह सोचकर हम अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर अथवा एनजीओ, प्रशासन आदि पर छोड़ देते हैं और चर्चा होने पर कह भी देते हैं कि हम तो सरकार को टैक्स देते हैं तो सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन क्या सिर्फ टैक्स या अपनी जिम्मेदारी पर ऑखें मूंद लेने मात्र से ही हमारा कार्य पूरा हो जाता है, नहीं न ! हम हर कार्य सरकार, प्रशासन या एनजीओ आदि के भरोसे नही छोड़ा जा सकता है। कुछ कार्य की हमें भी जिम्मेदारी लेनी होगी।

देश में बढ़ती महंगाई से भी हम व्यथित हैं, परेशान हैं लेकिन फिर भी महंगी चीजें खरीद रहे हैं और इसके लिए दोष दूसरों को देते हैं लेकिन क्या हमने सोचा है आज हम उन चीजों के भी अधिक पैसे अदा कर रहे हैं जिन्हें हम मुफ़्त पा सकते हैं। जी हां सही सुना आपने मुफ़्त। अब आप सोच रहे होंगें की ऐसी कौन सी चीजें हैं ? तो आपको बता दूं अगर हम थोड़ा से समय अपने और अपने परिवार के लिए निकाल लें तो हमसे ज्यादा स्वस्थ और अच्छा भोजन करने वाला कोई और नहीं होगा। यहां तक कि हमारी बीमारियां और नित्य चलने वाली दवाईयों और विटामिन्स की गालियां भी बंद हो जाएंगी। जी हां अगर हम अपने घरों में पेड़-पौधे लगा लें, तो शुद्ध फल-सब्जी के अलावा हमें आक्सीजन, छाया, प्राकृतिक हवा यहंत की उन चीजों का एहसास भी मिलेगा जो कभी हमने गांव में किया हो अरे हां इसके अलावा फल, फूल भी तो मिलेंगें। वो भी बिना कैमिकल और बिना पैसों के। अब आप सोच रहे होगें कि यह सब चीजें तो जमीन में पौधे लगाने पर होती हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं है जैसे -जैसे टैक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है वैसे ही साइंस भी निरंतर तरक्की पर है। 

 जब धीरे -धीरे कच्चे रास्तों ने पक्की जमीन का रूप ले लिया है तो वैसे ही अब फल, फूल आदि की वैरायटी में भी तब्दींलियां आई है। अब आप अपने घर में गमलों में भी फल, फूल आदि के पौधे लगा सकते हैं। अगर आपके घर में भी जगह नहीं है तो घर की छत को भी गार्डन बना सकते है। 


जिस तरह जंगल काटकर कंक्रीट के जंगल बसाये जा रहे हैं वहीं अब मानव अत्याधुनिक सुविधाओं का उपयोग कर रहा है। तब यकिन मानिए निरंतर बढ़ते तापमान को देखते हुए अब वक्त आ चुका हे कि हमें हरियाली की तरफ सोचना पड़ेगा। हमें अपने घरों, घर के आगे बने कच्चे फुटपाथ आदि पर पेड़ -पौधे लगाने ही नहीं उनकी देखभाल भी करनी होगी। अगर ऐसा नहीं किया गया तो जल्द ही हमें और हमारे बच्चों के कंधों पर परमानेंट आक्सीजन का सिलेड़र लटकने वाला है। 


अब आप ये सोच रहे होगें की हमारे पास समय ही कहां है ? हम यह सब कैसे करेंगें तो आपको ज्यादा कुूछ नहीं करना है कुछ पेड़ तो ऐसे हैं जिन्हें आप बिना किसी खर्चे के लगा सकते हैं जैसे आप घर में नित्य पूजा करते होंगें तो अगले दिन उन फूलों को डस्टबिन में डालकर नए फूल भगवान को अर्पित करते होंगें लेकिन अगर आप उन फूलों को जमीन में या गमले में गाड़ दें या किसी पन्नी में बंद करके रख दें तो शकुछ दिन बाद उनमें से पेड़ बनना शुरु हो जाऐगें। वहीं आप नित्य ऐसे फल भी खाते होंगें जिनके बीज भी आप डस्टबिन में फेंकते है तो उनके बीजों का भी उपयोग इसी तरह कर सकते हैं। 


वहीं बच्चों को प्रेरित करें की वह अपने जन्मदिन या किसी खास उत्सव पर एक पौधा जरूर लगाएं। एक दिन वह बड़ा होकर छाया, आक्सीजन, फल, फूल देगा। वहीं बढ़ते तापमान में भी कमी करेगा। लेकिन अगर हमने हमारी यह नकारात्मक धारणा नहीं छोड़ी तो एक दिन इस सोच के कारण बढ़ता तापमान हमें जला कर रख देगा। हां बिल्कुल जला कर खाक कर देगा. आज विश्व पर्यावरण दिवस पर सपथ लें और पड़े लगाने की शुरुआत करें.

क्यूंकि अगर आज हमने नहीं सोचा तो वो दिन दूर नहीं जब गर्मी में पारा इतना हाई होगा कि घरों में रहना भी दुश्वार हो जाएगा।

- राहुल मिलन

स्वतंत्र पत्रकार, आगरा

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