नागरी प्रचारिणी सभा के स्थापना दिवस पर, वरिष्ठ साहित्यकारों का भी हुआ अभिनंदन


-  स्वाधीनता आंदोलन में क्रांति के शोले भड़काती थी करुणेश की कलम


आगरा। विख्यात कवि प्रोफ़ेसर सोम ठाकुर ने कहा कि क्रांतिकारी पत्रकार स्व.रोशनलाल गुप्त ‘करुणेश’ ने जहां स्वाधीनता आंदोलन में बमों का प्रयोग किया, वहीं अपनी लेखनी के माध्यम से अंग्रेजों के खिलाफ कलम से शोले भड़काते थे।  

नागरी प्रचारिणी सभा के स्थापना दिवस पर स्व.करुणेश के चित्र अनावरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए सोम ठाकुर ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता में करुणेश जी योगदान अविस्मरणीय रहेगा।  


उपसभापति डॉ. विनोद माहेश्वरी ने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के दिनों में सन् 1938 से 40 तक करुणेशजी ने "आशा" नामक पत्र का संपादन किया, जिस पर अंग्रेज सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद उन्होंने "ऊषा पत्र निकाला। सन् 1950 में एक पुस्तक उर्मिला के 14 वर्ष प्रकाशित की। जीवन पर्यंत देश भर की पत्र-पत्रिकाओं में उनके लेख प्रकाशित होते रहे थे। 


स्थापना दिवस के उपलक्ष में वरिष्ठ साहित्यकार केएमआई के पूर्व निदेशक प्रो.जयसिंह नीरद को प्रो.सुरेशचंद शर्मा स्मृति पुरस्कार, साहित्यकार डा.शांति नागर को प्रो.रमेश कुमार शर्मा स्मृति पुरस्कार, साहित्यकार डा.शैलबाला अग्रवाल को पं.ब्रजमोहन रावत पुरस्कार प्रदान किए गए।  


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नागरी प्रचारिणी सभा के सभापति डा.खुशीराम शर्मा ने कहा कि स्थापना के 113 गौरवशाली वर्ष पूर्ण होने पर हिंदी साहित्य सेवियों का सम्मान कर हम कृतज्ञ हैं। मंत्री डा.चंद्रशेखर शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। साहित्यकार अशोक अश्रु विद्यासागर ने सरस्वती वंदना की।


इस अवसर पर डॉ. कुसुम चतुर्वेदी, हरी मोहन कोठिया, पंडित महेश शर्मा गोपाली, शलभ शर्मा, डॉ. महेश धाकड़, मीरा परिहार, मंजरी शर्मा,  पदमावती पदम, गजेंद्र यादव, अशोक अग्रवाल, किरण शर्मा, अभिषेक पराशर, हुकुम सिंह, निधि गर्ग, नेहा अग्रवाल, डॉ . असीम आनंद, डॉ. रमेश आनंद , सुशील कुमार, नंद नंदन गर्ग, ओम स्वरूप गर्ग के अतिरिक्त करुणेश परिवार के संजय गुप्त, आदर्श नंदन गुप्ता व शरद गुप्त उपस्थित रहे।

Comments