18 वर्ष से अधिक आयु के केयरलीवर्स ने साझा किये अपने अनुभव व चुनौतियां



- यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में केयरलीवर्स के साथ हुआ कार्यशाला का आयोजन।

- 18 वर्ष से अधिक आयु के केयरलीवर्स ने साझा किये अपने अनुभव व चुनौतियां।

- प्रदेश के युवा शक्ति होंगें एकजुट।


आगरा 09 दिसम्बर 2023, समाजशास्त्र विभाग सभागार, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊः महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तर प्रदेश, द्वारा यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में विगत वर्षों में प्रदेश की बाल देखरेख संस्थाओं से पाश्चातवर्ती देखरेख में गये 18 वर्ष से अधिक आयु के केयरलीवर्स (किशोर-किशोरियों) के साथ उनके पुर्नावासन को सुनिश्चित करने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल किये जाने के उदद्ेश्य से पहले राज्यस्तरीय संवाद का आयोजन लखनऊ में किया गया। उत्तर प्रदेश की पाश्चातवर्ती देखरेख (ऑफटर केयर) संस्थाओं सहित, बाल देखरेख संस्थाओं से निकलकर समाज की मुख्यधारा में शामिल किये गये केयरलीवर्स के संरक्षण एवं पुर्नवास तथा युवा शक्ति के भविष्य को उज्जवल बनाने हेतु कल, आज और कल पर समर्पित यह संवाद युवाओं के अनुभवों और चुनौतियों पर आधारित थी।

केयरलीवर्स द्वारा संवाद के दौरान यह निर्णय लिया गया कि विभाग के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश में केयरलीवर्स को आवश्यक समर्थन उपलब्ध कराने के उदद्ेश्य से युवा शक्ति को एकजुट किया जायेगा, जिसके अंतर्गत प्रदेश की बाल देखरेख संस्थाओं से निकलने वाले समस्त किशोर-किशारियों को शामिल किया जायेगा। इस संवाद के माध्यम से सभी किशोर-किशोरियों द्वारा अपने भविष्य के निर्माण हेतु एक साथ बैठक कर चर्चा की गई। इसी क्रम में दूसरी कार्यशाला दिनांक 23 दिसंबर 2023 को आयोजित की जायेगी जहाँ यह केयरलीवर्स अपनी देखभाल सेवाओं के प्रबंधन हेतु आवश्यक सुझाव रखेंगें। साथ ही पश्चातवर्ती देखरेख (ऑफ्टर केयर) में आने से पूर्व, दौरान और पश्चात की जाने वाली कार्यवाही पर विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया के निर्माण हेुत अपने विचार प्रस्तुत करेंगें।

संवाद के दौरान उपनिदेशक महिला कल्याण पुनीत कुमार मिश्रा ने कहा कि आने वाले वर्ष में हम बाल देखरेख संस्थाओं से समाज की मुख्यधारा की ओर अग्रसर होने वाले इन युवाओं को हर संभव समर्थन प्रदान करने के लिये योजना तैयार कर रहे हैं। इन युवाओं को जीवन कौशल में निपुण बनाने के साथ-साथ उनका कौशल विकास और उन्हें रोजगार से जोडना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत पश्चातवर्ती देखरेख में पूर्व से शामिल किशोर-किशोरियों के पुर्नवास तथा कल्याण हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश निर्गत किये गये हैं। जिनमें किशोर-किशोरियों के आवश्यकताओं व बुनियादी जरूरतों को पूरा करने हेतु प्रति किशोर प्रति माह 4,000/- रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने के प्रावधान शामिल हैं।


यूनिसेफ के बाल संरक्षण अधिकारी दिनेश कुमार ने कहा कि हर वर्ष बाल देखरेख संस्थाओं से सैंकड़ों बच्चे 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने के उपरांत गृहों को छोड़कर या तो समाज की मुख्यधारा में शामिल होते है या विभाग द्वारा संचालित पश्चातवर्ती देखरेख (ऑफ्टर केयर) संस्थाओं में आवासित कराये जाते हैं तथा अधिकतम 23 वर्ष की आयु के उपरांत पश्चातवर्ती देखरेख (ऑफ्टर केयर) गृह को छोडकर समाज में प्रवेश करते हैं। कतिपय इन युवाओं को जीवन में संघर्ष और समाज की मुख्यधारा में समायोजित होने हेतु विभिन्न चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता हैं। इन युवा शक्तियों का समर्थन और सशक्तिकरण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम में उपस्थित लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष डी0आर साहु ने कहा कि उपस्थित किशोर-किशोरियों के कल में जरूर जोखिम रहें होंगें पर सभी को अपने आज पर काम करते हुये अपने भविष्य को संवारने हेतु अग्रसर होना होगा। केयरलीवर्स को यदि किसी प्रकार के मार्गदर्शन की आवश्यकता हो तो विश्वविद्यालय पूरी तरह से आपके साथ है।    

किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 (संशोधित 2021), की धारा 2(5), धारा 46 और नियमावली के नियम 25 के प्रावधान संस्थागत देखरेख में रहने वाले बच्चों को पश्चातवर्ती देखरेख (ऑफ्टरकेयर) की सुविधा प्रदान करते है, उक्त धारायें व नियम यह अनिवार्य बनाते हैं कि ‘‘किसी बच्चे के 18 वर्ष पूरा करने और ऐसी स्थिति में बाल देखरेख संस्था छोड़ने पर उसे निर्धारित तरीके से समाज की मुख्यधारा में पुनः एकीकरण की सुविधा प्रदान करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा सकती है‘‘।

पश्चातवर्ती देखरेख (ऑफ्टरकेयर) उन सभी युवाओं/किशोर-किशोरियों हेतु है, जो अपने बचपन के दौरान किसी भी प्रकार की वैकल्पिक देखभाल अर्थात बाल देखरेख गृह में पले-बढ़े हैं और 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर उन्हें वह गृह छोड़ना पड़ता हो। देखरेख गृह छोड़, स्वतंत्र जीवन जीने की ओर बढ़ना युवाओं हेतु विभिन्न चुनौतियों के साथ-साथ अवसर प्रदान करने वाला बदलाव है क्योंकि वे अनदेखी परिस्थितियों और भावनात्मक परिवर्तनों से गुजरते हैं। यह बदलाव की स्थिति एक संवेदनशील अवधि है क्योंकि यदि इस समय युवाओं को आवश्यक समर्थन नही मिला तो उनके लिए उपलब्ध अवसर उनसे छूट सकते हैं। विभाग द्वारा वर्तमान में लखनऊ में किशोरों हेतु 1 और लखनऊ, वाराणसी, मेरठ और सहारनपुर में किशोरियों हेतु 4 पश्चातवर्ती देखरेख (ऑफ्टर केयर) संस्थाओं का संचालन किया जा रहा है।

पश्चातवर्ती देखरेख (ऑफ्टरकेयर) के अंतर्गत 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले युवाओं को बाल देखरेख संस्था छोड़ने पर उनकी शिक्षा जारी रखने हेतु समर्थन के साथ-साथ, रोजगार योग्य कौशल और प्लेसमेंट, उधोग शिक्षुता, व्यवसाय शुरू करने हेतु ऋण सहायता व समाज की मुख्यधारा में उनके पुनः एकीकरण तथा उन्हें रहने का स्थान प्रदान करने के प्रावधान है।

सवांद के दौरान पश्चातवर्ती देखरेख में शामिल लगभग 50 युवा शक्तियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में बाल संरक्षण अधिकारी यूनिसेफ दिनेश कुमार सहित विभाग की ओर से लखनऊ मंडल के उपनिदेशक प्रवीण कुमार त्रिपाठी, राज्य सलाहाकर प्रीतेश कुमार तिवारी व नीरज मिश्रा, जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास सिंह और मंडलीय तकनीकी रिसोर्स पर्सन अनिल कुमार उपस्थित रहे।

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