अहोई अष्टमी पर बन रहा रवि पुष्य नक्षत्र का योग, ऐसे करें पूजा : एस्ट्रोलॉजर डॉक्टर शिल्पा जैन


यह व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद रखा जाता है यह व्रत संतान प्राप्ति एवं संतान से सुख की प्राप्ति हेतु एवं संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। यह व्रत हर साल कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस साल 2023 को यह तिथि 5 नवंबर को आ रही है। अष्टमी तिथि 4 नवंबर को मध्य रात्रि से शुरू होकर 5 नवंबर को रात्रि 3:19 में समाप्त होगी। इस साल यह तिथि बहुत खास होने वाला है क्योंकि इस दिन रवि पुष्य नक्षत्र का योग बन रहा है। 

इस शुभ योग में व्रत  रखने से व्रत का फल दुगना हो जाता है। अहोई माता को पार्वती मां का रूप माना गया है इस दिन शिव परिवार की पूजा की जाती है जिस प्रकार करवा चौथ में चंद्रमा को अर्घ देकर व्रत का समापन किया जाता है उसी प्रकार अष्टमी में तारों को वर्ग देकर व्रत का समापन होता है अहोई अष्टमी के दिन माताएं सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प धारण करें एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाए एवं गंगाजल से उसे शुद्ध करें फिर उसे पर सप्तधान्य रखें उसके पश्चात शिव परिवार की स्थापना करें मां को सिंदूर कुंकुम अक्षत लाल फूल अर्पित करें एवं शिव जी को बेलपत्र अर्पित करें कलश की स्थापना अवश्य करें एवं घी का दीपक प्रज्वलित करें माता की कथा बच्चों को अपने पास बिठाकर सुनाएं। 

भोग में मां पार्वती को पूरी और फुआ का भोग लगाए एवं गणेश जी को दुर्गा अर्पित करें अंत में आरती करें एवं तारा को अरघ देकर मीठा खाकर अपना व्रत का उद्यापन करें।

कुछ चीजों की सावधानी अवश्य रखें जैसे की धारदार चीजों का प्रयोग ना करें सफेद चीज ना खाएं पूजा के पश्चात स या जेठानी को बाय न अवश्य दें और अभी माता और गणेश जी की कथा सुन उनसे प्रार्थना करें कि आपका व्रत निर्विघ्न हो और आपकी संतान की लंबी आयु की प्राप्ति हो।

 आप सभी की यह पूजा निर्भीक में संपन्न हो एवं आपकी संतान की लंबी आयु हो यही कामना करती हूं।



                                                                        - एस्ट्रोलॉजर डॉक्टर शिल्पा जैन                                                                                           की कलम से

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