करवाचौथ जानें शुभ महूर्त ओर व्रत का महत्व : डॉ शिल्पा जैन

 


आगरा। करवा चौथ एक ऐसा व्रत है जो सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए हर्षोल्लास के साथ रखती है ।यह व्रत पत्नी का अपने पति पर समर्पण का भाव को दर्शाता है। 1 नवंबर बुधवार के दिन करवा चौथ का व्रत पूरे विश्व में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।  शुक्र ग्रह वैवाहिक जीवन की खुशी के कारण का ग्रह माना गया है आज के दिन दिन शुक्र ग्रह को प्रसन्न करने  का विशेष दिन है हर साल की भांति इस साल 2023 मे करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर बुधवार  के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा । कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। शरद पूर्णिमा के बाद जो चौथ पड़ती है उस दिन व्रत महिलाएं रखती है क्योंकि महिलाओं में इतनी शक्ति है कि वह प्रभु से अपने पति की लंबी आयु की प्राप्ति की पूजा कर सकती है और अपने पति की लंबी आयु प्राप्त करके सुहागन जाने की विनती करती है ।करवा चौथ व्रत करने की क्षेत्र विशेष के हिसाब से अलग-अलग विधियां है। किंतु एक सामान्य विधि जो सभी करते हैं उसका वर्णन कर रही हूं। आज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्र भगवान को अर्घ देने के पश्चात ही भोजन ग्रहण करती हैं। इस व्रत में सरगी का बहुत महत्व है। सरगी वह भोजन है जो सास द्वारा बहू को दिया जाता है ।सरगी करवा चौथ के दिन सूर्योदय के पूर्व ही ग्रहण किया जाता है । सरगी के पूर्व रात में मुख शुद्धि करके अवश्य सोए अनन का एक भी दाना मुख में नहीं रहना चाहिए। सरगी में सास अपनी बहू को भोजन देती हैं। उस भोजन में फल बदाम में वे पूरी अपनी इच्छा अनुसार दिया जाता है। सरगी का सेवन करने से पूरे दिन शरीर में शक्ति बनी रहती है एवं अपनी सास का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है । सरगी लेने की विधि इस प्रकार है कि स्नान करके सिंगार करके ही सरगी लेनी चाहिए और अपनी सास का चरण स्पर्श करके उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए अगर आपकी सास ना हो तो कोई भी सुहागिन महिला का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद ले ताकि आपका व्रत सफल हो ।सरगी में तामसिक भोजन ना लें एवं तेज मसालेदार भोजन भी ना ले। पानी का भरपूर सेवन करें। सरगी लेने से पूर्व गाय, कुत्ता, कौवा और पितरों के लिए भोजन अवश्य अलग करें। करवा चौथ का व्रत द्रौपदी, सावित्री ,वीरावती अनेक महिलाओं ने रखा है किंतु इस व्रत में वीरावती की कहानी सबसे ज्यादा प्रचलित है। सूर्यास्त से पूर्व सभी सुहागिन महिलाएं एकत्रित होकर करवा चौथ की कथा किसी भी ब्राह्मण के मुख से श्रवण करें । कथा के दौरान थाली घुमाने की भी परंपरा है। प्रथम गणेश जी की कथा सुने एवं शिव परिवार का पूजन करें। कोशिश करें कि कड़वा मिट्टी या पीतल या चांदी का हो सटील का करवा लेना वर्जित बताया गया है। कड़वा में जल भरे उस पर ढक्कन रखकर शक्कर, धान्य एवं दक्षिणा रखें और इसी जल से अर्घ्य दे। अगर पूजा में सीँख  ना मिले फिर भी आप कड़वा से अरघ देकर अपना पूजा संपन्न कर सकती हैं। आज के दिन शिव मंत्र ,पार्वती मंत्र ,कार्तिकेय मंत्र ,गणेश मंत्र एवं चंद्रमा के मंत्र का जाप अवश्य करें ।

अगर अशुद्धि के दिन है तो अशुद्धि के पांचवें दिन आप पूजा कर सकती हैं और अगर अशुद्धि है तो सिर्फ कथा सुने और सिर्फ एवं चंद्रमा को दूर से नमस्कार करें ।आज के दिन सोलह श्रृंगार का बहुत महत्व है ।16  सिंगार में बिंदी, कंगन, सिंदूर ,काजल ,गजरा, नथ ,मांग टीका ,झुमका, पायल, अंगूठी ,मंगलसूत्र, लाल कपड़ा ,कमरबंद ,मेहंदी आदि का बहुत महत्व है ।आज के दिन लाल, गोल्डन ,पीला रंग का वस्त्र धारण करें ।नीला एवं काला रंग का वस्त्र कदापि ना धारण करें । अगर आपका शादी का जोड़ा आपके पास है तो आज के दिन इसे अवश्य धारण करें ।व्रत के एक दिन पहले ही शाम को तामसिक भोजन का त्याग कर दें। चंद्रमा एक ग्रह है जिन्हें चांदी की धातु बहुत पसंद है अतः अरग देते समय चांदी का सिक्का हाथ में रखे या चांदी के लोटे से अरघ दे ।आजकल कुंवारी लड़कियां भी इस व्रत को रखती हैं अतः इस व्रत को कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं किंतु चांद के बदले वह तारा को देख कर अपना व्रत खोलें ।चंद्रमा निकलने के पश्चात छलनी से चांद को देखकर उसी छलनी से अपने पति का मुख देखना चाहिए एवं उन्हीं के हाथों से जल का सेवन करना चाहिए ।ऐसा देखा गया है कि बहुत सी महिलाएं आटे का दिया बनाती है और चांद को दिखाने के बाद उस दिए को पीछे फेंक देती हैं ऐसा कदापि ना करें। उस दिए को चांद के समक्ष रख दें और पूजा करते वक्त अपना चेहरा पूरब की तरफ रखें। जल का सेवन करने के पश्चात अपने पति को उपहार के रूप में इत्र जरूर दें। चौथ का चांद हमेशा छलनी से ही देखना चाहिए ऐसा शास्त्रों में वर्णित है की खुली आंख से चौथ का चांद देखने से कलंक लगने की संभावना होती है। संपूर्ण चांद निकलने के पश्चात चंद्रमा को देखना चाहिए।आज अर्घ्य देने के पश्चात बड़ों का आशीर्वाद लें एवं अपने पति को उपहार स्वरूप इत्र की शीशी दे। अधिकांश महिलाएं चंद्रमा के आधा उदित होते ही अरघ दे देती हैं यह उचित नहीं है। गर्भवती स्त्रियां विशेष रुप से यह व्रत निर्जला ना रखें। व्रत के दौरान मेवा, दूध ,फल आदि का सेवन करती रहें एवं अगले साल पूर्ण रूप से व्रत रखने की अनुमति अपनी सास से मांगे ।जो महिलाएं शारीरिक रूप से अस्वस्थ हैं वह भी नारियल पानी ,फल, मखाना ,केला बादाम आदि का सेवन करके यह व्रत रख सकती हैं।

करवा चौथ एक आध्यात्मिक यात्रा है अगर अध्यात्म रूप से इसे देखा जाए तो बुद्धि रूपी चलनी से हमें चांद को देखना है एवं मिट्टी का करवा अर्थात हमारा शरीर मिट्टी से बना हुआ है इससे जल को अरघ चंद्रमा को देना है एवं अपने इस मिट्टी रूपी शरीर में चंद्रमा की शीतलता आ जाए यही प्रार्थना करनी है।

   यह करवा चौथ सभी सुहागिन महिलाओं के सुहाग को अमर करें एवं परिवार में सुख समृद्धि एवं अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति हो यही मैं कामना करती हूं।

    खुद सारे दिन भूखी रहकर अपने पति के लिए अच्छे स्वास्थ्य तथा लंबी उम्र की कामना करने वाली भारतीय नारी को दिल से नमन

      एस्ट्रोलॉजर डॉ शिल्पा जैन की कलम से

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