आज 273 एचडब्लयूसी पर लगेंगे आयुष्मान मेले : डॉ. अरुण श्रीवास्तव


- इस शनिवार को संचारी रोगों की स्क्रिनिंग पर होगा जोर

- मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने दी जानकारी


आगरा । जनपद में आयुष्मान भवः अभियान का आगाज 17 सितम्बर को किया गया था । इसी के तहत प्रत्येक शनिवार को जिले के 273  हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स पर, जबकि रविवार को जिले के 18 सीएचसी और 44 सीएचसी पर आयुष्मान मेलों का आयोजन किया जा रहा है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने दी । इस शनिवार के मेले में संचारी रोगों की स्क्रिनिंग पर जोर होगा।

सीएमओ ने बताया कि आयुष्मान मेलों का स्वास्थ्य और पोषण की दृष्टि से काफी महत्व है। इसमें शनिवारीय मेले हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर लगाए जा रहे हैं। प्रथम शनिवार को उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मुंह, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के मरीजों की स्क्रीनिंग की जा रही है । दूसरे शनिवार को टीबी, मलेरिया, डेंगू, कुष्ठ, फाइलेरिया जैसे संचारी रोगों के मरीजों की स्क्रीनिंग हो रही है।  तीसरे शनिवार को गर्भावस्था जांच, नियमित टीकाकरण व पोषण संबंधी सेवाएं दी जाएंगी । चौथे शनिवार को नेत्र देखभाल संबंधी सेवा घर के नजदीक ही दी जाएंगी ।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक कुलदीप भारद्वाज ने बताया कि जिले में 18 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और 44 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर रविवारीय मेले लगाए जा रहे हैं । रविवार को आयोजित मेले में चक्रानुक्रम में स्त्री रोग, बाल रोग, सर्जन, नेत्र और ईएनटी विशेषज्ञों की सेवाएं दी जा रही हैं।

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डीआर टीबी की दवा की कोई किल्लत नहीं : डॉ. सूर्यकान्त

- साइक्लोसिरिन दवा पहुंची स्टोर में, जल्द ही केन्द्रों पर आपूर्ति : डॉ. भटनागर

- प्रदेश के करीब 16 हजार डीआर टीबी के मरीजों के लिए राहत की खबर 


आगरा।  ड्रग रेसिस्टेंट टीबी यानि डीआर टीबी के खात्मे में सहयोगी दवा के रूप में इस्तेमाल होने वाली साइक्लोसिरिन स्टॉक में आ गयी है। नार्थ जोन टीबी टास्क फ़ोर्स के चेयरमैन व केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त और राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर का कहना है कि यह दवा स्टोर तक पहुँच चुकी है। जल्द ही प्रदेश के सभी डीआर टीबी सेंटर तक पहुंच जाएगी। प्रदेश में इस समय डीआर टीबी का इलाज ले रहे करीब 16 हजार मरीजों के लिए यह राहत की खबर है। डीआर टीबी मरीजों का इलाज प्रदेश के 86 केन्द्रों पर उपलब्ध है, जिसके लिए केजीएमयू को सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस बनाया गया है। इनमें 24 नोडल ड्रग रेसिस्टेंट टीबी सेंटर और 62 ड्रग रेसिस्टेंट टीबी सेंटर शामिल हैं । देश में सर्वाधिक डीआर टीबी सेंटर वाला राज्य यूपी है ।  

      डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि सामान्य टीबी यानि फेफड़े की टीबी की दवा बीच में छोड़ देने या सही तरीके से दवा का सेवन न करने से वह ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (डीआर टीबी) में बदल जाती है। ऐसे में मरीज का इलाज जटिल होने के साथ ही लम्बा चलता है। उन्होंने कहा कि डीआर टीबी मरीजों को सात प्रकार की दवाएं दी जाती हैं उनमें साइक्लोसिरिन एक सहायक दवा है जो एमडीआर टीबी के बैक्टीरिया को समाप्त करने वाली मुख्य दवा के सहयोग के लिए दी जाती है। ऐसे में डीआर टीबी के जो मरीज बीच में इस दवा से वंचित रहे हैं उन्हें चिंतित होने की कतई जरूरत नहीं है क्योंकि इस दवा को छोड़कर जो अन्य दवाएं दी जा रहीं थीं वह बीमारी से मुक्ति दिलाने में पूरी तरह कारगर हैं। इसलिए केंद्र से मिलने वाली दवाओं का सेवन नियमित रूप से अवश्य करें क्योंकि ऐसा न करने से बीमारी गंभीर रूप ले सकती है। दवाओं के साथ खानपान का भी पूरा ख्याल रखें ताकि दवाएं जल्दी असर दिखा सकें।   राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर का कहना है कि साइक्लोसिरिन दवा की आपूर्ति  लखनऊ के स्टोर में हो चुकी है। जल्द से जल्द यह दवा टीबी यूनिट तक पहुँच जायेगी। 

देश में ड्रग रेसिस्टेंस टीबी केन्द्रों के तकनीकी सहयोग के लिए भारत सरकार और इंटरनेशनल यूनियन अंगेस्ट टीबी एंड लंग डिजीज द्वारा कुल पांच सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस बनाये गए हैं । इनमें दिल्ली में दो, मुम्बई में एक, चेन्नई में एक और यूपी में एक सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस शामिल हैं। यूपी के सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस के रूप में केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन डिपार्टमेंट को चुना गया है।

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