जानें साल 2023 में शरद पूर्णिमा की तिथि, पूजा विधि और महत्त्व के बारे में : एस्ट्रोलॉजर शिल्पा जैन


आगरा। वैसे तो हर माह एक पूर्णिमा पड़ती है। लेकिन शरद पूर्णिमा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. ये पूर्णिमा तन, मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है. शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी जी की उपासना कर कोजागर पूजा की जाती है, ये पूजा सर्वसमृद्धिदायक मानी गई है. पूर्णिमा पर सत्यनारायरण की कथा करने से घर में सुख-शांति स्थापित होती है और सबसे खास शरद पूर्णिमा का चांद 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है जो अपनी किरणों के जरिए अमृत की बरसात करता है. इस दिन 6 शुभ योग का संयोग बन रहा है. जानें.

अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा इसलिए कहा जाता है कि यह एक ऐसा समय है जब सुबह शाम एवं रात्रि के समय हमें सर्दी का अनुभव होता है ।चौमासा यानी भगवान विष्णु सो रहे होते हैं यह समय अपने अंतिम चरण में रहता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण गोपियों के साथ महारास आज के दिन रचते हैं इसीलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। जिनकी भी कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो या चंद्रमा की दशा या अंतर्दशा चल रही हो उन्हें आज के दिन चंद्रमा के समक्ष कुछ देर अवश्य बैठकर ध्यान करना चाहिए एवं चंद्रमा का मंत्र ॐ सोम सोमाय नमः का जाप अवश्य करना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार साल में सिर्फ शरद पूर्णिमा का दिन है जिसमें चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है ।सभी पूर्णिमा में सबसे खास शरद पूर्णिमा को माना गया है इस दिन चंद्रमा का सौंदर्य और आभा बिल्कुल अलग रहता है। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि चांद की खूबसूरती को देखने के लिए देवता गण स्वयं पृथ्वी पर आते हैं । ऐसी मान्यता है कि मां लक्ष्मी आज की रात पृथ्वी पर भ्रमण करती है एवं जो भी भक्तगण रात्रि जागरण एवं पूजा करते हैं उन पर विशेष कृपा बरसाती है।


 शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर शनिवार को है शरद पूर्णिमा पर इस साल चंद्र ग्रहण लग रहा है चंद्र ग्रहण पूर्णिमा तिथि को ही लगता है शरद पूर्णिमा को चांद की रोशनी में खीर रखना और लक्ष्मी पूजन का विधान है


शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर की रात 1:06 पर शुरू होगा और देर रात 2:22 पर समाप्त होगा ग्रहण की अवधि 1 घंटा 16 मिनट की है 9 घंटे पूर्व से सूतक काल शुरू होगा ऐसे में सूतक 28 अक्टूबर को दोपहर 2:52 से प्रारंभ हो जाएगा।

पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर 2023 को सुबह 4:17 पर प्रारंभ होकर 29 अक्टूबर को सुबह 1:53 तक रहेगी। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय 28 अक्टूबर को शाम 5:20 पर होगा।


शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगने के कारण लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं तो यहां बताना चाहती हूं कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है इस दिन चंद्रमा से अमृत रूप किरण बरसाने की मान्यता है इसलिए इस दिन खीर को चांद की रोशनी में रखा जाता है खीर अगर ग्रहण से पहले बनाई जाएगी तो वह सूतक वह ग्रहण काल में दूषित हो जाएगी ऐसे में ग्रहण समाप्त होने के बाद खीर बनाकर उसे चंद्रमा की रोशनी में रखना उचित होगा।


शरद पूर्णिमा के दिन दोपहर 2रू52 से सूतक शुरू हो जाएगा सूतक काल में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं ऐसे में शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन व चंद्र पूजन आधी रात बाद या जब ग्रहण समाप्त हो जाए तब करना उचित होगा।


शरद पूर्णिमा के दिन बन रहे चौघड़िया मुहूर्त-

शुभ उत्तम-सुबह 7:54 से 9:17 प्रात

लाभ उन्नति दोपहर 1:28 से 2:52 तक

अमृत सर्वाेत्तम 2: 52 दोपहर से 4:16 मिनट शाम तक

लाभ उन्नति साइकिल 5:40 से 7:16 शाम तक

 शरद पूर्णिमा की रात को जागरण करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है

  शरद पूर्णिमा की रात को जागरण करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है ।देर तक जागने के बाद भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी जी की पूजा के बाद ही सोने जाना चाहिए। रात में जगने के कारण इस पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा यानी जागने वाली रात भी कहते हैं। इस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है। ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है। आज के दिन श्री सुक्तम का पाठ, कनकधारा स्तोत्र का पाठ ,विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ ,मधुराष्टकम् के मंत्र का जाप अवश्य करें एवं हनुमान जी के समक्ष चौमुखा दीपक जलाएं। भगवान विष्णु जी को तुलसी का भोग अवश्य लगाएं एवं मां तुलसी के सामने दीपक अवश्य जलाएं ।आज के दिन चंद्रमा के समक्ष रखे हुए खीर का बहुत महत्व है ।अतः मे सभी इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें ।

 यह शरद पूर्णिमा आपके जीवन में सुख समृद्धि और स्वास्थ्य लाभ लेकर आए यही कामना करती हूं। शरद पूर्णिमा का चांद सबसे सुंदर होता है और सबसे ज्यादा आशीर्वाद देता है आशा करती हूं इस रात आप सभी पर चंद्रमा का भरपूर आशीर्वाद बरसे।




    - एस्ट्रोलॉजर शिल्पा जैन की कलम से

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