जीव कल्याण का मार्ग दिखाता है श्रीमद देवी भागवत का अमृत ज्ञान : श्री बाल योगी पचौरी जी



  • जीव कल्याण का मार्ग दिखाता है श्रीमद देवी भागवत का अमृत ज्ञान।
  • श्री बाल योगी पचौरी जी महाराज श्रीमद् देवी भागवत अमृत कथा का करा रहे रसपान।


आगरा: श्री महालक्ष्मी मन्दिर बल्केश्वर में चल रही 16 दिवसीय श्रीमद देवी भागवत के चतुर्थ दिवस मे वृदावन धाम चार सम्प्रदाय आश्रम से पधारे व्यास बालयोगी पचौरी जी महाराज ने श्रीमद देवी भागवत की महिमा का गुणगान किया, भागवत शब्द व्याख्या करते हुये प्रत्येक अक्षर का मर्म कहा कि "भा" का अर्थ है प्रभा, कीर्ति तथा "ग" अक्षर का अर्थ ज्ञान तथा "व" अक्षर का अर्थ है विवेक और 'त' अक्षर का अर्थ है- विस्तार 

अर्थात जिसमे वेद, ग्रन्थों का विस्तार मानव जीवन का कल्याण के लिये किया गया हो, वही अमृतमयी श्रीमद देवी भागवत कथा है।


श्री बाल योगी पचौरी जी ने कहा जीव काम के वश में है। पराम्बा भगवती जी ने काम को जीत लिया है निर्गुण, निराकार साकार माता का चिन्तन करने से जीव निष्कामी बन जाता है। माता जगदम्बा की कृपा पाने के लिये त्रिकाल संध्या करना भी परम आवश्यक है सूर्योदय, दोपहर व सूर्यास्त के समय जप ध्यान व प्राणायाम अमिट पुण्य प्रदान करते है। त्रिकाल सन्ध्या करने वाला त्रिकालदर्शी हो जाता है। ध्यान भी दो प्रकार का होता है सगुण ध्यान, निर्गुण ध्यान। शान्तिमय जीवन जीने के लिये बस एक काम करे। काम करते समय काम करो। जब काम ना रहे तो आराम करो। आराम की जरूरत है तो एक काम कर। आराम की शरण तू राम राम कर।

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