आगरा। जहां एक ओर सरकार द्वारा मिशन शक्ति अभियान का विस्तार किया जा रहा है। पुलिस, प्रशासन, सामाजिक संगठनों द्वारा महिलाओं, बालिकाओं को उनके अधिकारों आदि को लेकर बताया जा रहा है। सरकार द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा कानून को बताया जा रहा है। वहीं ताजनगरी में एक मामला सामने आया है जहां आफिस के ही सहकर्मी ने महिला कर्मियों के साथ अश्लील हरकर व गाली गलौज की गई। संस्थान ने मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की लेकिन महिला कर्मी चुप नहीं बैठी इसने इस मामले की शिकायत न्यू आगरा थाने की दयालबाग पुलिस चौकी पर की, सुनवाई न होने पर थाने गई। जिसके बाद भी सुनवाई न होने पर पीड़िता ने प्रदेश के मुखिया योगी एवं महिला आयोग में की। मामला लखनऊ पहुंचने के बाद मामले की छानबीन शुरु हुई एवं एफआईआर लिखी गई।
बताते चलें की महिला एक प्रकाशन हाउस में एचआर पद पर कार्यरत है। महिला ने प्रकाशन हाउस के एडमिन मैनेजर पर आरोप लगाया है कि उसने महिला के साथ बदसलूकी की, अश्लील हरकतें करते हुए गाली गलौज एवं जाति सूचक शब्दों का प्रयोग किया है। पीड़िता ने मुकदमे में आरोप लगाया है कि 17 मार्च को वह केबिन में बैठी थी। कंपनी के एचआर मैनेजर और आईटी मैनेजर भी मौजूद थे। तभी एडमिन मैनेजर केबिन में आए उसके काम को लेकर टिप्पणी की। विरोध किया तो अपशब्दों का प्रयोग किया। अश्लील इशारे किए। जातिसूचक शब्द बोले। उसे अपमानित किया। जिससे आहात होकर महिला कर्मी ने ये कदम उठाया।
सवाल ये उठता है कि जहां सरकार महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को लेकर इतनी शख्त है। नित्य नए कानून बनाने में जुटी है। वहीं अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं वहीं पुलिस प्रशासन द्वारा इस प्रकार का मामला सामने आने पर भी इस पर संज्ञान नहीं लेते हैं पीड़िताओं को थाने, चौकीयों से भगा दिया जाता है। क्या इस प्रकार का कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए ?
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