हिंद देश परिवार द्वारा श्रावण मास के आठ सोमवार को हुईं साहित्यिक व आध्यात्मिक प्रस्तुतियां



आगरा। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कमलेश नागर ने कहा है कि श्रावण और पुरुषोत्तम मास में भगवान शंकर की आराधना का विशेष महत्व है, भक्तों को शिव की कृपा पाने के लिए शिवत्व का चिंतन मनन और पालन करने का प्रयास करना चाहिए। डॉ. नागर हिंद देश परिवार आगरा द्वारा आयोजित ऑनलाइन "मनभावन सावन और पुरुषोत्तम मास में शिव आराधन" के समापन सत्र को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने अर्धनारीश्वर की व्याख्या एक शरीर दो प्राण के रूप में करते हुए कहा कि महादेव का समाज को संदेश है कि नर और नारी एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।


धनबाद झारखंड से श्रीमती प्रमिला श्री ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आराधन के साथ हमें शिव के कल्याणकारी कार्यों को समझना होगा और उन पर चलना होगा। संस्था की संस्थापक और अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्चना पांडेय अर्चि ने कहा कि हिंद देश परिवार देश विदेश में अपनी इकाइयों के माध्यम से आध्यात्म, साहित्य, संस्कृति एवं कला के कार्यक्रम करते हैं, जिससे संपूर्ण विश्व में खुशहाली, सुख और शांति का प्रसार हो। भगवान शिव की श्रावण के दो माह तक चली आराधना संस्था की इसी संकल्पना की कड़ी है। 


आगरा इकाई के अध्यक्ष संजय गुप्त ने बताया कि भगवान शंकर की विशेष कृपा से इस वर्ष श्रावण और पुरुषोत्तम मास के शुभ संयोग की बेला में आठ सोमवार पूजन, अर्चन और आराधन के लिए मिलने पर साहित्य, संगीत और विद्वान मनीषियों के सद्विचारों को फेसबुक पटल पर ऑनलाइन प्रस्तुतियां दी गईं। देश विदेश के एक सौ से अधिक सहभागियों ने आध्यात्म के अनूठे कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।


सावन के उनसठ दिन के आठ सोमवार में सारिका फलौर (नैरोबी केन्या), डॉ. स्निग्धा उपाध्याय (कोलंबस, अमेरिका), डॉ. शशि गुप्ता (न्यू जर्सी अमेरिका), नेहा गुप्ता (अमहर्ट्स अमेरिका), अभिनय गुप्ता (मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया) के अतिरिक्त असम के डिब्रूगढ़ से  पुष्पा बुकलसरिया एवं डॉ. महेश जैन, गोहाटी से मधु माहेश्वरी, तिनसुकिया से बजरंग लाल केजरीवाल, गोलाघाट से रंजना बिनानी, मध्य प्रदेश के सतना से ममता श्रवण अग्रवाल, ग्वालियर से आशी प्रतिभा दुबे, दतिया से डॉ. अरविंद श्रीवास्तव असीम, शिवपुरी से राकेश भटनागर भ्रमर, जबलपुर से सरोज विश्वकर्मा, भोपाल से कुंवर इंद्रजीत सिंह, इंदौर से माधुरी निगम, आशा जाकड़ और संतोष तोषनीवाल, शहडोल से सत्य नारायण तिवारी सत्य, ऊधमपुर जम्मू से उषा गुप्ता, तेलंगाना के हैदराबाद से डॉ. गीता अग्रवाल, कर्नाटक के बेंगलुरु से डॉ. कविता सिंह प्रभा, पश्चिम बंगाल के कोलकाता से सुशीला चनानी, दिल्ली से चंचल हरेंद्र वशिष्ट, सुनीता गुप्ता, रजनी बाला, प्रदीप मिश्र अजनबी, मनोज कुमार शुक्ल अभि दा, झारखंड के जमशेदपुर से पूनम शर्मा स्नेहिल, हिमाचल के नालागढ़ से प्रीति शर्मा असीम, राजस्थान के जयपुर से विकास शर्मा शिवाय एवं श्रीकांत तैलंग, धौलपुर से राजेश कुमार शर्मा, डीग से प्रकाश चंद्र पाराशर, छत्तीसगढ़ के दुर्ग से प्रेम सिंह काव्या, बिहार के पटना से डॉ. इंदु उपाध्याय, समस्तीपुर से राजीव गौतम, उत्तराखंड के डूंगरी से मीना रवि, देहरादून से नरेंद्र कुमार बहुखंडी, माधुरी भट्ट, अंजू श्रीवास्तव, सुमन तिवारी, उत्तर प्रदेश के लखनऊ से नरेंद्र भूषण, रश्मि सिंह, महेश प्रकाश अस्थाना, सरिता त्रिपाठी, कानपुर से डॉ. कुसुम सिंह अविचल, सुषमा सिंह उर्मि, सुनीता गुप्ता, सुल्तानपुर से डॉ. हरि दत्त शुक्ल, वाराणसी से डॉ. रजनी अग्रवाल वाग्देवी रत्ना, ग्रेटर नोएडा से कुंवर प्रवल प्रताप सिंह प्रवल, प्रयागराज से हंसराज सिंह ‘हंस’, डॉ. शशि जायसवाल, एटा से राजबाला पुंढीर, गाजियाबाद से आचार्य पंकज भारद्वाज, चंद्र शेखर गुप्ता, प्रियदर्शिनी शर्मा, अभिनंदन गुप्ता, आशा शाह, मंजुला गुप्ता, पुषेंद्र कुमार मल्होत्रा, मीना गुप्ता, दीपिका गुप्ता, पिलखुआ से अशोक गोयल, मथुरा से अनुराधा प्रियदर्शिनी, संभल से राजीव कुमार ‘भृगु’, झांसी से पंकज कुमार खरे ‘लेश’ आदि ने प्रस्तुतियां दीं।


आगरा से प्रस्तुतियां देने वालों में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ राजेंद्र मिलन, डॉ. कुसुम चतुर्वेदी, डॉ. शेष पाल सिंह ‘शेष’, अशोक अश्रु विद्यासागर, सुशील सरित, आदर्श नंदन गुप्त, रामेंद्र कुमार शर्मा ‘रवि’, पंडित महेश शर्मा गोपाली, शरद गुप्त, रविंद्र वर्मा, ज्योत्सना सिंह, डॉ. रेखा गौतम, राज कुमारी चौहान, संगीता अग्रवाल, डॉ. असीम आनंद, यशोधरा यादव ‘यशो’, डॉ. शशि तिवारी, सुधा वर्मा, डॉ. सुनीता चौहान, गीतिका गुप्ता, सौफी गुप्ता, पदमावती पदम, योगेश कुलश्रेष्ठ, पूजा तोमर, रीना सक्सेना, निशि राज जैन, आचार्य यादराम कविकिंकर, विजया तिवारी, प्रेम सिंह राजावत, डॉ. शैलबाला अग्रवाल आदि शामिल रहे।

Comments