जीवन में संतुलन बनाने की प्रेरणा देता है अरण्य कांड


  • जीवन में संतुलन बनाने की प्रेरणा देता है अरण्य कांड
  • श्रीराम ने वर्तमान को पकड़ कर ही जीवन सिद्ध किया
  • बल्केश्वर महादेव मंदिर परिसर में बह रही श्रीराम की भक्ति धारा 

आगराः बल्केश्वर महादेव मंदिर परिसर में श्रीराम कथा के तीसरे दिन शुक्रवार को पं.विजय शंकर मेहता जी ने कहा कि श्रीराम चरित मानस का अरण्य कांड जीवन में संतुलन बनाने की प्रेरणा देता है, उसी से संपूर्ण जीवन का कल्य़ाण हो जाता है। 

श्री मेहता ने कहा कि रामायण हमें जीवन जीने की कला सिखाती है, लेकिन प्रत्येक कांड के पीछे जीवन जीने के अलग-अलग सूत्र छिपे हुए हैं। ये सूत्र जीवन में भगवान श्रीराम ने अपने जीवन में धारण किए थे, तभी वे लंकापति व अन्य असुरों पर विजय पा सके। हम यदि इन सूत्रों का पालन कर लेंगे तो हमारे जीवन का कल्याण हो जाएगा। 

उन्होंने कहा कि अरण्य का अर्थ है वन । जंगल और नगरीय जीवन में काफी अंतर रहता है। जंगल में रह कर हमें काफी कष्ट उठाने पड़ते हैं। हमें विपरीत परिस्थितियों में जीना पड़ता है। अरण्य कांड में भगवान श्रीराम भी यही सिखाते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में भी कैसे जीएं। 

मेहता जी ने कहा कि जीवन में तीन बातों का संतुलन बनाना होता है, भूत, वर्तमान और भविष्य । भूतकाल, यानि पुरानी स्मृति को हमें भूलना चाहिए। खासतौर से बुरे समय को, क्योंकि उन्हें याद करते हुए हम वर्तमान में सुखी जीवन नहीं जी सकते। वर्तमान को हमें पकड़े रखना है। वर्तमान को यदि हम खूब मन से जीएंगे, खुश रहेंगे तो हमारा वर्तमान तो सुखद रहेगा ही, भविष्य भी सुखी होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य का संतुलन बनाने के लिए हमें नई, नई तकनीकी से जुड़ना होगा। भविष्य में क्या-क्या परिवर्तन आ रहे हैं, उन्हें जान कर अपने को उनमें ढालना होगा। उन्होंने सांसों में भी संतुलन बनाने पर भी जोर दिया। कहा कि भगवान ने सांस लेने की प्रक्रिया तो बहुत खूबसूरत बनाई है, यदि आती-जाती सांस पर ध्यान देना सीख लोगे तो ऋषियों की तरह ध्यान करना आ जाएगा उसका अभ्यास सभी को करना चाहिए विष्णु भगवान गोयल, कमला गोयल,मनीष गोयल,संगीता गोयल, मोहित वर्मा आदि मौजूद रहे।


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