हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम, राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम......


  • भक्ति से होता है अभिमान का मर्दन।
  • हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम, राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम........


आगरा: बल्केश्वर महादेव मंदिर के चल रही श्री राम कथा में रविवार को श्री रामचरित मानस का सुंदरकांड का प्रसंग श्रवण कराया।

मानस मर्मज्ञ पं. विजय किशोर मेहता जी ने सुन्दर काण्ड के गूढ़ तत्वों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि किस तरह भक्त हनुमान ने अपने मार्ग में आई सभी बाधाओं को दूर करते हुए माता सीता की खोज की। जो भी सच्चे मन से पवन पुत्र हनुमान के अराध्य श्रीराम का सुमिरण करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते है। मानस मर्मज्ञ मेहता जी ने कहा कि जब हनुमान जी भगवान राम का दूत बनकर लंका में प्रवेश करते हैं, तो वह अपना रूप अत्यंत लघु कर लेते हैं।

यहाँ अपने शरीर का आकार छोटा करने का अर्थ यह है कि वह अपने आप मामूली व्यक्ति बनकर माता सीता के सम्मुख जाते हैं। यहां लघुता का अर्थ अभिमान रहित से है। उसके पीछे भी एक मंशा यह है कि मां सीता की भक्ति को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अभिमान रहित होना होगा। तभी मां सीता की भक्ति मिल सकती है।

इसी बीच अशोक वाटिका में रावण का आगमन होता है। यहां रावण का अभिप्राय समस्या से है, वही हनुमान जी का अर्थ सलूशन (समाधान ) से है। मानव जीवन में समस्याओं के आने से पूर्व उसका समाधान मौजूद होता है। मीनाक पर्वत, राक्षसी सुरसा व विभीषण के प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को भाव-विभोर किया।

पदम अग्रवाल रेखा अग्रवाल ओम प्रकाश खंडेलवाल ,नेमिचा चंद अग्रवाल सुशीला देवी हरि किशन सिंघल मुन्नी देवी आदि मौजूद रहे।

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