कलश यात्रा में छलके राम नाम के मोती

 


  • कलश यात्रा में छलके राम नाम के मोती
  • बल्केश्वर महादेव मंदिर में राम कथा का शुभारंभ

समानता और सहजता का प्रतीक है बाल कांडः पं.विजय शंकर मेहता 

आगराः पीत परिधान पहने, चुनरी ओढ़े, सिर पर कलश रखे हुए अनगिनत महिलाएं भक्तिगीत गाती हुई निकलीं। श्रीराम के जय़घोष हुए और जगह-जगह स्वागत के बाद कलश यात्रा बल्केश्वर महादेव मंदिर परिसर पहुंच गई। शाम को श्रीराम कथा का शुभारंभ हो गया। पहले दिन बालकांड पर विस्तृत चर्चा की। जिसमें पं.विजय शंकर मेहता ने कहा कि श्रीराम चरित मानस का बाल  कांड समानता और सहजता का प्रतीक है। 

बल्केश्वर के शक्ति सुशील मंदिर से प्रारंभ हुई इस कलश यात्रा में आगे-आगे बैंड बाजे चल रहे थे। पुरुषों द्वारा जयघोष किया जा रहा था। सैकड़ों महिलाएं इस कलश यात्रा में शामिल थीं। अंत में बग्घी में कथा वाचक मानस मर्मज्ञ पं.विजय शंकर मेहता विराजमान थे। उनके साथ मंदिर के महंत सुनील कांत नागर चल रहे थे।  स्थान-स्थान पर पुष्प वर्षा की गई। 

विभिन्न मार्गों से होती हुई कलश यात्रा बल्केश्वर महादेव मंदिर पहुंची। जहां पर महाराज जी का स्वागत मंदिर के महंत कपिल नागर ने किया। 

शाम को कथा का शुभारंभ हुआ। पहले दिन बाल कांड का प्रसंग था।  मेहता जी ने  बड़े ही सरस भाव से बताया कि  

जब भगवान का जन्म हुआ तब वे चतुर्भुज थे। कौशल्या जी कहती हैं ये रूप नहीं चाहिए, शिशु बन के आओ। इसका उल्लेख बाबा तुलसीदास ने इस प्रकार किया है-

भये प्रकट कृपाला, दीनदयाला ,कौशल्या हितकारी ,

लोचन अभिरामा, अतिबल धामा ..।   भगवान बड़े हुए तो  गुरुकुल भेजे गए। चारों बालक साधारण बालक बन के शिक्षा प्राप्त करने लगे। 


जब राम-लक्ष्मण किशोरावस्था में आ गए तो विश्वामित्र जी पहुंच गए और राजा दशरथ से राम-लक्ष्मण को  मांगते  हैं। दशरथ हिचकिचाते हैं, वशिष्ठ जी बीच में आते हैं, कहते हैं ये बालक यज्ञ की संतान हैं। इनका जन्म विशिष्ट उद्देश्य, राक्षस संस्कृति के विनाश के लिए हुआ है। राम को विश्वामित्र व्यावहारिक शिक्षा देते हैं। विश्वामित्र ताड़का का वध करवाते है, अहिल्या का उद्धार होता है। 

सीता स्वयंवर की चर्चा करते हुए मेहता जी ने कहा कि धनुष अहंकार का प्रतीक है। हमारा अहंकार भी प्रत्यंचा की तरह चढ़ा रहता है। भगवान् संकेत दे रहें हैं, युवक-युवतियो, शादी करने से पहले अहंकार रूपी धनुष को बीच में से तोड़ देना। आजकल गृहस्थी बनती है तो एक नहीं दो धनुष बन जाते हैं। पति -पत्नी के अहंकार तन जाते हैं प्रत्यंचाएं खिंच जाती हैं।  

 मेहता जी ने बाल काण्ड की समानता सहजता पर चर्चा की। कहा कि परिवार को इसी सहजता के सूत्र के साथ बसाएं। गौरी शंकर, काजल अग्रवाल, बॉबी गुप्ता, दिशा गुप्ता और अन्य मौजूद रहे ।

कल होगा अयोध्या प्रसंग

27 जुलाई को अयोध्या कांड का प्रसंग होगा। शाम छह बजे सादर आमंत्रित हैं।

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