आज विश्व शतरंज दिवस है तो क्या आपको पता है कि शतरंज सबसे ज्यादा पसंदीदा खेलों में से एक है। इस गेम के दीवाने आपको हर जगह मिल जाएंगे। आज कि युवा पीड़ी भेले ही इस खेल का खेलना ना जानती हो लेकिन आपके चाचा, पापा, दादा सभी ने ये खेल खेला होगा। इस खेल में अक्सर वास्तविक जीवन के संदर्भ के रूप में उपयोग किए जाने वाले शतरंज के खेल में रानी को बचाने के लिए समर्पण, फोकस और सोची-समझी चालों की आवश्यकता होती है। शतरंज के खेल में हमारी हर चाल, आगे चलने वाली चालों की श्रृंखला को प्रभावित करती है। शतरंज एक फेमस बोर्ड गेम है जिसे दुनिया भर में लाखों खेलने वाले हैं.
यह खेल दिमाग से खेलने वाला गेम है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति शतरंज अच्छे से खेलना जानता है, उसे जिंदगी में किसी भी तरह की स्थिति से निपटने का तरीका आ जाता है. ये खेल व्यक्ति को धैर्य, प्लानिंग, विश्वास और अनुशासन सिखाता है. शतरंज को अंग्रेजी में चेस कहा जाता है. चैस का नाम सुनकर ऐसा लगता है कि ये गेम किसी दूसरे देश का है. लेकिन वास्तव में शतरंज का खेल दुनिया को भारत ने दिया है, लेकिन तब इसे चतुरंग के तौर पर खेला जाता था.
विश्व शतरंज दिवस का महत्व
अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल शतरंज प्रेमियों के लिए बल्कि दुनिया भर के समुदायों के लिए भी है। यह दिन बच्चों और वयस्कों में शतरंज के शैक्षिक लाभों, संज्ञानात्मक क्षमताओं, तार्किक तर्क और रणनीतिक सोच को बढ़ाने पर प्रकाश डालता है। यह भाषाई, सांस्कृतिक और भौगोलिक बाधाओं को पार करते हुए खेल की सार्वभौमिक अपील का भी जश्न मनाता है, क्योंकि शतरंज दुनिया के हर कोने में खेला जाता है।
International Chess Day 2023 की थीम
विश्व शतरंज दिवस 2023 के लिए, अधिकारियों द्वारा ऐसी कोई विशिष्ट थीम तय नहीं की गई है। एक थीम के बजाय प्रत्येक व्यक्ति को शतरंज के व्यापक लाभों को समझाने का लक्ष्य प्राप्त किया गया है। तो, International Chess Day 2023 भी खेल को सार्वभौमिक बनाने की इसी थीम का जश्न मनाएगा। इस International Chess Day 2023 को खेल के प्रति असाधारण उत्साह और सम्मान के साथ मनाएं।
लेकिन यह खेल अब अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में हम आपको अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस से जुड़े फैक्ट्स शेयर करेंगे, जो शायद ही आपको पता हो. हर साल 20 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस पूरी भव्यता और धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल भी यह स्पेशल दिन 20 जुलाई गुरुवार को मनाया जाएगा.
6वीं शताब्दी में हुआ था जन्म
शतरंज के गेम का जन्म भारत में 6वीं शताब्दी में गुप्त वंश के दौरान हुआ था. आज, 1500 से अधिक वर्षों के बाद भी इस गेम को 172 देशों में खेला जाता है. शतरंज विश्व संस्कृति में भारत के योगदानों में से एक है, राजाओं के दरबार में खेले जाने वाले खेल से लेकर गांवों में खेले जाने वाले खेल होता था लेकिन समय के साथ यह खेल अब पेशेवर खेल के रूप में बदल गया है. आज इस गेम के बड़े-बड़े आयोजन होते हैं.
रोचक बातें
- शतरंज (Chess) भारत के प्राचीन खेलों में से एक है और इस खेल का आविष्कार भारत में 8वीं शताब्दी के आसपास हुआ था, तब इसे ‘चतुरंग’ के नाम से जाना जाता था.
- शतरंज के पट (Chess) को बिसात कहा जाता है, जिसमें 64 वर्ग बने होते हैं जिसमें 8 क्षैतिज पंक्तियां बनी होती हैं, इसके वर्ग दो विपरीत रंगों में रंगे होते हैं.
- इस खेल में दोनों तरफ एक राजा और एक रानी / वज़ीर होता है, दोनों खिलाड़ियों के पास समान रूप से दो घोड़े, दो हाथी, दो ऊंट और आठ सैनिक होते हैं, पहले ऊंटों के स्थान पर नावें (नौका) होती थीं, लेकिन इस खेल के अरब प्रस्थान के बाद, ऊंट ने नाव की जगह ले ली.
- शतरंज, एक बिसात पर दो लोगों द्वारा खेला जाने वाला खेल है जिसमें 6 प्रकार के 32 मोहरें (प्रत्येक खिलाड़ी के लिए 16 मोहरें) होते हैं. प्रत्येक प्रकार का मोहरा एक विशिष्ट तरीके से आगे बढ़ता है, खेल का लक्ष्य ‘शह’ और ‘मात’ होता है.
- शतरंज की पहली चार चालें 3,18,97,95,64,000 तरीकों से खेली जा सकती हैं. शतरंज में प्रतिद्वंद्वी को केवल दो चालों में शह और मात देना संभव है. शतरंज का एक चार-खिलाड़ियों वाला संस्करण भी है जिसे ‘चतुर्जी’ कहा जाता है जो प्राचीन भारत में खेला जाता था.
- शतरंज का मुख्य उद्देश्य आपको लक्ष्य निर्धारित करना और रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करना सिखाना है.
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